कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 32,000 शिक्षकों की नौकरियां रद्द करने के एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी है। यह रोक सितंबर के अंत तक या अगला आदेश दिए जाने तक अंतरिम रहेगी। कोर्ट की एकल पीठ ने 12 मई को उन लगभग 32,000 उम्मीदवारों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश दिया था, जिन्होंने 2014 की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के आधार पर 2016 में एक चयन प्रक्रिया के माध्यम से प्राथमिक शिक्षकों के रूप में भर्ती होने के बाद प्रशिक्षण पूरा नहीं किया था।
न्यायिक हस्तक्षेप की प्रथमदृष्ट्या जरूरत: कोर्ट
पीठ ने पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड और कुछ प्रभावित शिक्षकों की याचिका पर अपना अंतरिम आदेश सुनाते हुए कहा कि प्रभावित पक्षों को अपना बचाव करने के अर्थपूर्ण अधिकार का मौका दिए बिना नौकरियां रद्द करने के फैसले में न्यायिक हस्तक्षेप की प्रथमदृष्ट्या आवश्यकता है। जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ ने नियुक्तियां रद्द करने का आदेश दिया था।
हालांकि, एकल पीठ ने निर्देश दिया कि जिन शिक्षकों को 2016 की चयन प्रक्रिया के संबंध में बोर्ड की सिफारिश के बाद रोजगार मिला है, उन्हें प्राथमिक विद्यालय के पारा शिक्षक के बराबर पारिश्रमिक पर 12 मई से चार महीने तक काम करने की अनुमति दी जाएगी। कोर्ट ने बोर्ड को यह भी निर्देश दिया था कि 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने वाले उम्मीदवारों के लिए ही तीन महीने के भीतर भर्ती प्रक्रिया की व्यवस्था की जाए। इस दौरान प्रशिक्षण योग्यता प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को भी अभ्यास में शामिल किया जाएगा।