पत्रकार की लिखी हुई बातें हुई सत्य व्यापारी ने दिया बंदी से छूट के लिए आवेदन

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पत्रकार की लिखी हुई बातें हुई सत्य व्यापारी ने दिया बंदी से छूट के लिए आवेदन।

रसड़ा(बलिया) पत्रकार की लिखी बातें सत्य हुई व्यापारी ने साप्ताहिक बंदी से छूट के लिए दिया आवेदन।विदित हो कि गत दिनों व्यापारी संगठन के गठन के समाचार में पत्रकार ने व्यापारियों को साप्ताहिक बंदी से परेशान होने और बंदी को असफल बनाने की बात कही थी जिस पर तथा कथित व्यापारियों ने पत्रकारो को नोटिस दिया यह बात अलग है की नोटिस देने वाले ने पत्रकार से माफी मांगी। समाचार लिखने वाले पत्रकार को तथा कथित पत्रकार ने अंगूठा छाप की संज्ञा दिया था आज उसी अंगूठा छाप पत्रकार की लिखी बातें सत्य सावित हुई है।
*बंदी से छूट के लिए संवैधानिक नियम का पालन करना चाहिए*
व्यापारी नेता ने मेला त्यौहारो दिवाली छठ का हवाला देते हुए रसड़ा में साप्ताहिक बंदी से छुट की मांग की है जबकि छूट देने के लिए जो संवैधानिक नियम है व्यापारी संगठन और व्यापारी नेता को पालन करना व करवाना चाहिए। रसड़ा के व्यापारी नेता व्यापारियों को उचित बात नहीं बताते दुकानों का रजिस्ट्रेशन,गुणवत्ता पुर्ण सामान जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़े, उपभोक्ताओं को बिल देना और समय से पूर्ण टैक्स पैड करना। जन चर्चाओं से पता चला है कि कुछ व्यापारी नेता व्यापारियों के ही दुश्मन है अधिकारियों से मिलकर छापा भी डलवाते हैं। व्यापारियों को ऐसे नेता से सावधान रहने की जरूरत है जो व्यापारियों को उचित बात ना बताएं और व्यापारियों को क्षति पहुंचाए।
*_किसी की दी हुई विज्ञप्ति समाचार नहीं होता_*
कुछ दिन पूर्व व्यापारियों ने पत्रकारों पर आरोप लगाया था जो विज्ञप्ति दी गई थी उससे भिन्न समाचार क्षपा। इसके लिए क्षमा मांगना चाहिए। लेकिन एक वरिष्ठ विद्वान पत्रकार का कहना है का किसी की दी हुई विज्ञप्ति समाचार नहीं होता समाचार पत्रकार की विवेचना होती है संगठन बना है क्या वास्तव में संगठन उद्देश्य से के अनुरूप कार्य करता है या उसके विपरीत करता है। यदि पत्रकार ने संदेहात्मक समाचार प्रकाशित किया है तो जांच का विषय जांच एजेंसीयो को जांच कर संगठन के कार्य की सच्चाई पर मोहर लगनी चाहिए अगर ऐसा होता है पत्रकार जांच एजेंसीयो की जांच और संगठन के सही होने का भी समाचार प्रकाशित करता है।