सुलतानपुर में आदिगंगा गोमती तट पर स्थित सीताकुण्ड घाट सीधे अयोध्या-प्रयागराज-चित्रकूट धाम मार्ग से सीधे जुड़ेगा। इस परियोजना को लेकर 60 करोड़ रुपए की धनराशि से शहर के दो लिंक हाईवे निर्माण को लेकर अपनी भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराएगा। शहर के अंदर 50 फिट और शहर के बाद 75 फिट चौड़ाई होगी। निर्धारित सीमा के अंदर कब्जेदारों को मुआवजा भी भी नहीं मिलेगा। लोक निर्माण विभाग ने अब अयोध्या-प्रयागराज-चित्रकूट धाम मार्ग को शहर के आदिगंगा गोमती तट पर स्थित पौराणिक स्थल सीताकुण्ड को सीधे जोड़ने की योजना बनाई है। मार्ग पर जाम को कम करने व यातायात व्यवस्था को सुदृढ करने के लिए लोक निर्माण विभाग ने द्वारिकागंज व टाटियानगर से शहर के अंदर आने वाले दो लिंक हाईवे को फोरलेन में तब्दील करने की योजना है। योजना में गोलाघाट से द्वारिकागंज से गोलाघाट तक 10 किलोमीटर की दूरी को शामिल किया गया है। इसके साथ ही टाटियानगर से रतनपुर टेंढुई तक को शामिल किया गया है। गोलाघाट से द्वारिकागंज तक 10 किमी दूरी में फोरलेन निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपए की धनराशि निर्धारित की गई है जिसमें कई पुल व पुलिया को भी शामिल किया गया है। अयोध्या-चित्रकूट धाम मार्ग से सीताकुण्ड धाम को जोड़ने को लेकर इस लिंक हाईवे फोरलेन का निर्माण होगा। इस मार्ग की चौड़ाई शहर के बाहर सड़क के मध्य से 75 फिट होगी। निर्धारित सीमा के अंदर आने वालों को मुआवजा भी नहीं मिलेगा। टाटियानगर से टेंढुई तक लगभग तीन किलोमीटर की दूरी के लिए 10 करोड़ रुपए की धनराशि निर्धारित की गई है। इसमें भी एक पुल और कई पुलिया को शामिल किया गया है। शासन की मांग पर लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खण्ड ने स्टीमेट भी तैयार किया है।
अवैध कब्जा निर्माण में रोड़ा
दोनों लिंक हाईवे को फोरलेन में तब्दील करने को लेकर द्वारिकागंज से गोलाघाट और टाटियानगर से रतनपुर टेंढुई तक सड़क को अवैध कब्जे से मुक्त कराना आसान नहीं है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि निर्धारित सीमा के अंदर जो भी कब्जेदार आएंगे उन पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी। उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिलेंगा।
अधिशासी अभियंता लोनिवि प्रांतीय खण्ड, संतोष मणि तिवारी ने कहा कि शासन की मांग पर शहर के आदि गंगा गोमती नदी तट पर स्थित भगवान श्रीराम से जुड़े सीताकुण्ड घाट पौराणिक स्थल को अयोध्या- प्रयागराज-चित्रकूट धाम मार्ग से जोड़ने की योजना है। इसके तहत दोनों लिंक हाईवे को फोरलेन में तब्दील किया जाएगा। परियोजना की स्वीकृति के लिए स्टीमेट शासन को भेजा जाएगा