लखनऊ
प्रदेश के तीन और जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू कर दी गई है। इसमें गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज जिला शामिल है। शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में इन जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव समेत कुल 17 प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। गृह विभाग अब इसकी अधिसूचना जारी करेगा और बहुत जल्द इन जिलों में कमिश्नरेट के मानकों के अनुसार अधिकारियों की तैनाती होगी।
कैबिनेट में लिए गए निर्णय के अनुसार तीनों ही जिले को तीन-तीन जोन में बांटा गया है। गाजियाबाद में 23 थाने, 9 सर्किल और तीन जोन होंगे। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 46 लाख 61 हजार 452 है। इसी तरह आगरा जिले में 44 थाने, 14 सर्किल और तीन जोन होंगे। यहां की आबादी 44 लाख 18 हजार 797 है। प्रयागराज में 41 थाने, 14 सर्किल और 3 जोन होंगे। प्रयागराज की आबादी 59 लाख 54 हजार 390 है। हर जिले में बराबर की संख्या में आईपीएस अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। जल्द ही इसकी भी अधिसूचना जारी की जाएगी।
नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि जल्द ही पूरे जिले को मेट्रो पालिटन सिटी घोषित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पुलिस आयुक्त प्रणाली का गठन भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 व दंड प्रक्रिया 1973 के तहत किया जा रहा है। इसके तहत 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का प्रावधान है। इन तीन जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद अब प्रदेश में पुलिस कमिश्नरेट की संख्या 7 हो गई है। इससे पहले 13 जनवरी 2020 को लखनऊ और नोएडा में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू की गई थी। 26 मार्च 2021 को कानपुर और वाराणसी में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हुई। तीन जिलों लखनऊ, कानपुर और वाराणसी में पहले ग्रामीण क्षेत्र को अलग रखा गया था। लेकिन 4 नवंबर 2022 को विस्तार करते हुए ग्रामीण क्षेत्र को भी कमिश्नरेट में शामिल कर लिया गया था।
आईजी या उससे ऊपर की रैंक का अफसर होगा पुलिस आयुक्त
शासन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार उक्त जिलों में पुलिस आयुक्त का पद आईजी या उससे ऊपर की रैंक का होगा। इसके अलावा तीनों में जिलों में एक-एक अपर पुलिस आयुक्त या संयुक्त पुलिस आयुक्त का पद होगा। पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त व संयुक्त पुलिस आयुक्त को जिला मजिस्ट्रेट का दर्जा मिलेगा। इसके अलावा इन तीनों पुलिस कमिश्नरेट में हर जोन में एक पुलिस उपायुक्त के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त यातायात, मुख्यालय, महिला सुरक्षा और इंटेलीजेंस का पद होगा।
पुलिस कमिश्नरेट केअफसरों को मिलेगा यह अधिकार
सीआरपीसी की धारा 20 की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पुलिस आयुक्त को कार्यकारी मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार दिए जाएंगे। धारा 21 के तहत संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त को विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार दिए जाएंगे। धारा 58 के तहत शांति कायम रखने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्यकारी मजिस्ट्रेट के अधिकार दिए जाएंगे।
अन्य अधिनियमों में उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970, विष अधिनियम 1919, अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956, पुलिस द्रोह, उत्पीड़न अधिनियम 1922, पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, विस्फोटक अधिनियम 1884, कारागार अधिनियम 1894, सरकारी गोपनीयता अधिनियम 1923, विदेशी अधिनियम 1946, गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम 1967, भारतीय पुलिस अधिनियम 1861, उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा अधिनियम 1944, उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम 2005 और उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
स्क्रैप पॉलिसी को मंजूरी, नए वाहन खरीदने पर पंजीकरण कर में छूट
भारत सरकार की अधिसूचना के क्रम में उप्र कैबिनेट ने स्क्रैप पॉलिसी को मंजूरी दे दी। अब अपने पुराने वाहन को स्क्रैप में देकर नया वाहन खरीदने पर पंजीकरण शुल्क में 10 और 15 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने इस बाबत 5 अक्तूबर 2021 को अधिसूचना जारी की थी। इसमें वाहनों के स्क्रैप पर निक्षेप प्रमाण पत्र जारी करने को कहा गया था। चूंकि पुराने वाहनों के संचालन से धुएं के कारण प्रदूषण हो रहा है तो इस नीति को लागू करने पर सरकार का विशेष जोर रहा। योगी कैबिनेट ने इस नीति को मंजूरी दे दी। अब यदि कोई व्यक्ति या संस्था पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र द्वारा अपने वाहन को स्क्रैप कराता है ओर उससे जारी निक्षेप प्रमाण पत्र के आधार पर नया वाहन खरीदता है तो नए वाहन के पंजीकरण कर में छूट दी जाएगी। गैर व्यावसायिक वाहन पर 15 तथा व्यावसायिक वाहनों पर 10 प्रतिशत पंजीकरण कर में छूट मिलेगी। यह छूट निक्षेप प्रमाण पत्र की तिथि से एक वर्ष की अवधि तक मान्य होगी।
यह है कबाड़ नीति में
इस पॉलिसी के तहत अब 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 वर्ष पुराने डीजल वाहन बिना फिटनेस सड़कों पर नहीं दौड़ सकेंगे। एनसीआर में तो किसी भी सूरत में ऐसे वाहन नहीं दौड़ सकेंगे पर प्रदेश में अन्य स्थानाें पर इनका फिटनेस कराना होगा। ऐसे वाहन बिना फिटनेस चलते पकड़े गए तो प्रवर्तन दस्ते इन्हें अनफिट मानते हुए इन्हें जब्त करके स्क्रेप सेंटर के हवाले कर देंगे। इसके अलावा यदि कोई अपना वाहन कबाड़ में देना चाह रहा है तो वह स्क्रैप सेंटर पर गाड़ी सौंप कर सर्टिफिकेट ले सकता है।
वेबसाइट पर भी कर सकेंगे आवेदन
परिवहन विभाग के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति, फर्म, संस्था, ट्रस्ट, को अपने वाहन को स्क्रैप घोषित करना है तो वह विभाग की वेबसाइट www.ppe.nsws.gov.in/scrappagepolicy पर आवेदन कर सकते हैं।
23 बस अड्डे पीपीपी मॉडल पर विकसित करने को कैबिनेट की हरी झंडी
प्रदेश में 23 बस अड्डों को पीपीपी मॉडल पर विकसित करने के लिए कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी। इन बस अड्डों पर प्राइवेट कंपनियां अब एक हिस्से में अपनी व्यावसायिक गतिविधि संचालित कर सकेंगी और इसके बदले बस अड्डों का रखरखाव करने की जिम्मेदारी उन्हीं की होगी।
प्रदेश के 75 जिलों में 83 बस स्टेशनों को सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर विकसित करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए पहले चरण में 23 बस अड्डों पर काम होना है। परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया कि पहले चरण के 23 बस अड्डों को पीपीपी मॉडल पर विकसित किए जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूर कर लिया। अब इन बस अड्डों को खास ढंग से विकसित किया जाएगा। इसके लिए निजी कंपनियां आगे आएंगी।
बस अड्डों में कुछ जमीन पर ये अपना कांप्लेक्स आदि बनाएंगी और बाकी पूरे बस अड्डे का देखरेख करेंगी। इसमें यात्रियों की सुविधाओं का विशेष ख्याल यह रखा जाएगा। यहां इलेक्ट्रिक बसों के लिए चार्जिंग प्वाइंट्स बनाए जाएं। बसों का किराया आदि निगम ही तय करेगा और बसों का संचालन भी निगम ही हाथ में होगा। केवल बस अड्डे के रखरखाव और डेवलेप करने की जिम्मेदारी ऐसी कंपनियों की होगी। लखनऊ, आगरा, प्रयागराज के बस स्टैंडों को हवाई अड्डे की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। यात्रियों के ठहरने के लिए होटल की व्यवस्था होगी। रेस्तरां और बाजार भी होगा। *ये बस अड्डे होंगे विकसित*
कौशांबी गाजियाबाद, कानपुर सेंट्रल (झकरकटी), वाराणसी कैंट , सिविल लाइन प्रयागराज, विभूति खंड गोमतीनगर लखनऊ, सोहराब गेट मेरठ, ट्रांसपोर्ट नगर आगरा, ईदगाह आगरा, आगरा फोर्ट, रसूलाबाद अलीगढ़, मथुरा पुराना, गाजियाबाद, गोरखपुर, चारबाग बस अड्डा, जीरो रोड डिपो प्रयागराज, अमौसी लखनऊ, साहिबाबाद, अयोध्या धाम, बरेली, बुलंदशहर, गढ़ मुक्तेश्वर, मीरजापुर, रायबरेली।
14 जिला चिकित्सालयों का स्टाफ और संपत्तियां चिकित्सा शिक्षा विभाग को हस्तांतरित होगी
प्रदेश के 14 जिला चिकित्सालयों और रेफरल अस्पतालों को उच्चीकृत कर राज्य चिकित्सा महाविद्यालय बनाने के बाद अब उन जिला चिकित्सालयों और रेफरल अस्पतालों की संपत्तियां और स्टाफ चिकित्सा शिक्षा विभाग को हस्तांतिरत किया जाएगा। योगी कैबिनेट की शुक्रवार को आयोजित बैठक इसका प्रस्ताव मंजूर किया गया।
नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि अमेठी, औरेया, कानपुर देहात, कुशीनगर, कौशाम्बी, गोंडा, चंदौली, पीलीभीत, बुलंदशहर, बिजनौर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, सुल्तानपुर और सोनभद्र में स्थित जिला चिकित्सालय या रेफरल अस्पताल को उच्चीकृत कर सोसायटी के जरिये स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के रूप में संचालित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि उच्चीकृत किए गए जिला चिकित्सालय या रेफरल चिकित्सालय की समस्त अचल संपत्तियां और स्टाफ चिकित्सा शिक्षा विभाग को हस्तांतरित किया जाएगा। इन अस्पतालों के रखरखाव, विद्युत बिलों, संपत्ति कर, जल कर सहित अन्य देयकों का भुगतान वित्तीय वर्ष 2022-23 तक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से किया जाएगा। 2023-24 से उनका भुगतान चिकित्सा शिक्षा विभाग के जरिये होगा।
लोहिया अस्पताल के दसवें तल पर बनेगा एकेडमिक ब्लॉक
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के एकेडमिक ब्लॉक भवन के दसवें तल पर एक एकेडमिक भवन, कैफेटेरिया और प्रतीक्षालय बनाया जाएगा। कैबिनेट बैठक में इसका प्रस्ताव मंजूर किया गया।
महाधिक्वता दफ्तर में लॉ क्लर्क तैनात होगा
योगी कैबिनेट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में महाधिवक्ता कार्यालय में न्यायिक कार्यों में महाधिवक्ता की सहायता के लिए एक लॉ क्लर्क तैनात करने की मंजूरी दी है। 25 हजार रुपये मासिक मानदेय पर एक ला क्लर्क तैनात किया जाएगा।
