पीएम नरेंद्र मोदी का सपना बना वरदान, 4 साल में 74 हजार कैंसर मरीजों को मिला इलाज, 50 फीसदी से ज्यादा ने जीता जंग

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वाराणसी. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सपना देखा. ये सपना था वाराणसी में कैंसर हॉस्पिटल का, जो 2018 में पूरा हुआ और काशी हिंदू विश्वविद्यालय प्रांगड़ में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल के रूप में स्थापित हुआ. हॉस्पिटल के चौथे स्थापना दिवस के मौके पर अस्पताल प्रशासन द्वारा पंजीकृत मरीजों का आंकाड़ा जारी किया गया. आंकड़े में कैंसर की हार और जिंदगी की जीत का आंकड़ा सामान्य से 50 प्रतिशत ज्यादा सामने आया है. आंकड़ों के अनुसार चार सालों में अब तक दोनों अस्पतालों में 74277 मरीजों का पंजीकरण किया जा चुका है. जिसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा कैंसर मरीजों ने इस लाइलाज बीमारी को हराकर जिंदगी हासिल की है. वाराणसी के लहरतारा स्थित पुराने कैंसर हॉस्पिटल का आधुनिक निर्माण कराया गया तो वहीं बीएचयू में एक और कैंसर हॉस्पिटल खोला गया. जिसे महामना का नाम दिया गया. बता दें कि 19 फरवरी 2018 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच का अधिकारिक रूप से उद्घाटन किया गया था. स्थापना दिवस पर जारी किए गए आंकड़ों में अस्पताल में पंजीकृत होने वाले मरीजों पर नजर डाले तो पता चलता है कि पुरुषों में मुंह का कैंसर, जबकि महिलाओं में स्तन कैंसर पहले नंबर पर है. वहीं दूसरे नंबर पर पुरुष एवं महिलाओं दोनों में गॉल ब्लैडर (पित्त की थैली) का कैंसर है.

74 हजार मरीजों को कैंसर का इलाज मिल चुका है
इस मौके पर अस्पताल में इलाज लेने वाले मरीजों का आंकड़ा जारी करते हुए बताया गया कि 2018 से 2022 तक लगभग 74 हजार मरीजों को कैंसर का इलाज मिल चुका है. हर साल मरीजों के पंजीकरण में बढ़ोतरी दिख रही है. 2018 में होमी भाभा कैंसर अस्पताल में 6250 मरीज पंजीकृत हुए थे, जो 2022 में बढ़कर दोनों अस्पतालों में 20851 हो गए. कैंसर इलाज को लेकर अस्पताल पर बढ़ते लोगों के विश्वास एवं बीमारी के प्रति बढ़ती लोगों में जागरुकता की ही देन है कि नए पंजीकरण में वृद्धि हो रही है.  इसके साथ ही इनके ठीक होने का आंकड़ा 50 प्रतिशत से ज्यादा रहा है.

पूर्वांचल के लिए साबित हो रहा वरदान
इलाज के लिए अस्पताल आने वाले अधिकतर मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं. कईयों के पास तो इलाज के लिए एकदम भी पैसे नहीं होते. ऐसे मरीजों को इलाज दिलाने के लिए अस्पताल के मेडिकल सोशल वर्क विभाग द्वारा मदद की जाती है. इन मरीजों के इलाज के लिए कुछ राशि अस्पताल द्वारा दिया जाता है, जबकि कुछ एनजीओ भी इसके लिए अस्पताल के साथ काम करते हैं. आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 से लेकर नवंबर 2022 तक इलाज का खर्च न वहन कर पाने वाले कुल 9798 मरीजों की मदद मेडिकल सोशल वर्क विभाग द्वारा की गई. ऐसे में पीएम मोदी के एक सपने ने बनारस सहित पूरे पूर्वांचल व पश्चिम विहार तक के लोगों को एक बड़ा राहत दिया है, जो लगातार इस कैंसर हॉस्पिटल के जरिए मिल रहा है.