लखनऊ की मशहूर बाजपेयी कचौड़ी दुकान पर छापेमारी, GST टीम ने मारा छापा मचा रहा हड़कंप

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लखनऊ : की मशहूर बाजपेयी कचौड़ी पर GST ने टीम ने छापा डाला । इसमें टैक्स चोरी की बात सामने आई है। GST अधिकारियों ने मालिक से पिछले 5 साल का हिसाब मांगा और डेटा से मिलान किया, लेकिन रिकॉर्ड में हेराफेरी मिली। बताया जाता है कि बाजपेयी कचौड़ी की जितनी बिक्री हुई, उसका पूरा GST भुगतान नहीं किया गया। बता दे GST टीम ने अचानक पहुंचकर दुकान पर रेड डाली । मालिक से पूछताछ की और बयान दर्ज किया। टीम ने दुकान की मशीनें, बिल बुक और रजिस्टर जब्त कर लिए। GST के 6 से 7 अधिकारियों ने करीब चार घंटे तक हिसाब का ब्योरा लिया। हालांकि, दुकान में कचौड़ी की बिक्री भी थोड़ी बहुत चलती रही। विभाग के एक अधिकारी ने बताया- दुकान मालिक का बयान दर्ज कर लिया गया है। सभी वित्तीय दस्तावेजों की समीक्षा के बाद एक रिपोर्ट बनाई जाएगी। जांच पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगा कि एक्चुअल कितने टैक्स की चोरी की गई है।
एक तरफ छापेमारी, दूसरी तरफ कचौड़ी खाने की बेचैनी
दोपहर करीब 12:30 बजे का वक्त था, जब अचानक स्टेट GST की टीम बाजपेयी कचौड़ी की दुकान पर पहुंची। उन्होंने दुकान में घुसते ही सबसे पहले बिलिंग मशीन को कब्जे में ले लिया और मौजूद स्टाफ को छापेमारी की जानकारी दी। कुछ देर बाद एक वरिष्ठ अधिकारी समेत कई और कर्मचारी वहां पहुंचे और जांच शुरू कर दी। दुकान के बाहर पुलिस तैनात थी और अंदर रसीदों से लेकर कंप्यूटर सिस्टम तक की पड़ताल चल रही थी। इसी दौरान कई ग्राहक आए, जिनमें कुछ ने कचौड़ी खरीदने की जिद भी की, लेकिन टीम की मौजूदगी देखकर दुकान के कर्मचारियों ने उन्हें मना कर दिया। माहौल कुछ ऐसा था कि लोगों को समझ ही नहीं आ रहा था कि ये छापेमारी है या दुकान बंद हो गई है। जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, छापेमारी की खबर शहर में फैलने लगी। इसके बाद कुछ लोग सिर्फ तमाशा देखने भी पहुंचने लगे। करीब 4 घंटे तक चली जांच के बाद जैसे ही GST टीम रवाना हुई, वैसे ही ग्राहकों की भीड़ एक बार फिर कचौड़ी लेने पहुंच गई। इसके बाद बाजपेई कचौड़ी की दुकान दोबारा गुलजार हो गई। जब तक दुकान में छापेमारी चली लोगों की निगाहें एकटक दुकान के भीतर टिकी थीं-मानो सब कुछ वहीं ठहर सा गया हो।
हजरतगंज के छोटे व्यापारियों में खलबली
हजरतगंज के दिल कहे जाने वाले इस व्यस्त इलाके में छापे के बाद छोटे दुकानदारों में खलबली मच गई। GST के कर्मचारी सफेद शर्ट और काले पैंट में पहुंचे थे। उन्हें देखकर बाजपेयी कचौड़ी के आसपास के दुकानदार पहले तो समझ ही नहीं पाए कि आखिर क्या हो रहा है। कुछ ने फुसफुसाते हुए कहा कि-“शायद टैक्स का मामला है…” तो कोई बोला -“अब यहां तक पहुंच गई टीमें, तो अगला नंबर कहीं और का भी हो सकता है।” वहींं, ग्राहक जिनके लिए बाजपेयी की कचौड़ी रोज का स्वाद थी, वो निराश चेहरों के साथ लौटते दिखे। कुछ ग्राहक ऐसे भी थे, जो मौके का फायदा उठाकर अपने मोबाइल से वीडियो बनाने में लग गए। भीतर छानबीन जारी थी और बाहर बाजार की रफ्तार जैसे थम सी गई थी। 
GST की टीम स्वाइप मशीनों की कर रही है जांच, कारोबार का आंकड़ा खंगालने में जुटी टीम
GST की टीम ने बाजपेयी कचौड़ी की रोजाना की बिक्री, लेन-देन और टैक्स संबंधी दस्तावेजों की जांच की है। हालांकि, अधिकारियों ने यह स्पष्ट नहीं किया कि दुकान से प्रतिदिन कितने की बिक्री होती है। लेकिन, जांच के दायरे में बाजपेयी कचौड़ी का पूरा कारोबार है। दरअसल, बाजपेयी कचौड़ी भंडार पहुंचे स्टेट GST के अधिकारियों ने जब जायजा लेना शुरू किया तो उन्हें असल लेनदेन में कुछ खामियां दिखीं। इसके बाद उन्होंने रजिस्टर और बिल बुक मांगे तो इसमें भी गड़बड़ी दिखी। इसके बाद अधिकारियों ने दुकान के कुछ हिस्से को सील कर दिया।
GST के अधिकारी पूछताछ कर हिसाब दर्ज किया, 5 साल के कारोबार की जांच जारी
बाजपेयी कचौड़ी भंडार के पिछले 5 साल के कारोबार की जांच की जा रही है। इसमें अधिकारियों को इनकम टैक्स और GST विभाग को दी गई रिपोर्ट्स में गंभीर असमानताएं मिलीं। लेनदेन ज्यादा हुआ था, जबकि टैक्स भुगतान कम दिखाया गया है।
2016 में FSDA ने लगाया था जुर्माना
2016 में बाजपेयी कचौड़ी भंडार पर FSDA ने जुर्माना लगाया था। उनके साथ ही अन्य तीन दुकानदारों पर भी जुर्माना हुआ है। तत्कालीन चीफ फूड ऑफिसर एसपी सिंह ने बताया था- खाने का सामान बेचने वालों को रजिस्ट्रेशन कराए जाने के निर्देश पहले ही दिए गए थे, लेकिन कई दुकान वालों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। सुभाष मार्ग के बाजपेयी कचौड़ी भंडार के विनय दुबे जुर्माना किया।
बता दे बाजपेयी कचौड़ी…अटल बिहारी से राजनाथ तक स्वाद के दीवाने:खाने के लिए 20 मिनट तक लाइन में लगना पड़ता है, रोजाना 1000 प्लेट से ज्यादा की सेल आज उस कचौड़ी की बात, जिसकी तारीफ यूपी विधानसभा में होती है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव भी इसके स्वाद के मुरीद रह चुके हैं। दुकान छोटी है, पर स्वाद ऐसा कि इसे खाने के लिए लोग 15 मिनट तक खुशी-खुशी लाइन में लगे रहते हैं। जी हां…सही पहचाना आपने। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की बाजपेयी कचौड़ी की। साल 1975 में बालकिशन बाजपेयी ने हजरतगंज में छोटी-सी दुकान खरीदी। उनकी पत्नी शांति घर से पीस कर लाए ताजे मसालों वाली आलू की सब्जी बनाती और किशन तख्त पर कचौड़ी बेलते। 20 पैसे की 2 कचौड़ियों से शुरू हुआ ये सफर आज… करोड़ों में पहुंच गया है।