संत कबीर नगर
जहां एक तरफ सरकार गांव के विकास के लिए लाखों करोड़ों की योजनाएं संचालित कर रही है,तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी तनख्वाह से पेट न भरने वाले भ्रष्ट अधिकारी और ग्राम प्रधान के मिलीभगत के कारण सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं।दरसल मामला संत कबीर नगर जिले के गड़सरपार ग्रामसभा से है जहां विकास की बात करें तो विकास के नाम पर भ्रष्टाचार की बू आ रही है। बिना छत लगे पंचायत भवन के दीवाल को आनन-फानन में प्लास्टर से ढक दिया गया है ताकि भ्रष्टाचार उजागर ना हो सके ,और तो और मानक विहीन पुराने और दोयम दर्जे की ईंटों से इंटरलॉकिंग का कार्य करवाया जा रहा है ,उत्तर प्रदेश सरकार लाखों रुपए सामुदायिक शौचालय पर खर्च कर रही है ताकि शौचालय में सभी व्यवस्थाएं पूरी रहें, मोदी जी का सपना है कि स्वच्छ भारत,स्वस्थ भारत ,एक कदम स्वच्छता की ओर लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और ग्राम प्रधान की मिलीभगत के कारण शौचालय की स्थिति बद से बदतर है। शौचालय के बाहर मोटे मोटे अक्षरों में स्वच्छता एक्सप्रेस लिखा दिखाई देगा, नल सूखा पड़ा है, पाइप लाइन टूटी पड़ी है, पानी का मोटर तक गायब है गांव के लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर है वर्ष 2020- 21 में यह शौचालय बनकर तैयार हुआ था लेकिन अब यह धूल फांक रहा है अंदर बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ है ₹9000 की सैलरी पाने वाले केयरटेकर का कहीं अता पता नहीं है।
एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर इसकी जवाबदेही किसकी है? क्या ग्राम प्रधान इसके जिम्मेदार नहीं है ? क्या अधिकारियों के कान में यह बात नहीं जाती है, या जानबूझकर कमीशन खोरी के चक्कर में आंखें मूंद ली जाती है।
रिपोर्ट-आशीष शर्मा