बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूल में पहली स्पेस लैब का काम अंतिम चरण पर है. तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है और एक महीने में काम पूरा होने की उम्मीद है. एडीसी डॉ. निधि पटेल की पहल पर यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, जिसे अब अपना मुकाम हासिल होने वाला है.
जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला में प्रदेश की पहली स्पेस लैब बन रही है. घुमारवीं के सीनियर सकेंडरी ब्वायज स्कूल में यह लैब बनाई जा रही है. लैब का लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा हो गया। बिलासपुर एडीसी डॉ. निधि पटेल ने बताया कि ग्रामीण बच्चों में साइंस टैक्रोलॉजी के प्रति रुचि बढ़ाने के मकसद से इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए खाका तैयार किया गया. इसके लिए उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर की एक पंचायत के मॉडल को स्टडी किया गया. स्पेस लैब निर्माण को लेकर डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड से 10 लाख रुपये का बजट दिया गया है.ऐसे में जल्द ही स्पेस लैब विकसित कर ग्रामीण विद्यार्थियों को साइंस एंड टैक्रोलॉजी के प्रति विस्तृत प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जाएगा. इसके लिए, स्पेशल ट्यूटर प्रोग्राम भी चलेगा. इस लैब से विज्ञान की अहम जानकारियां मिलेगी. एडीसी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में ऐसी लैब कहीं नहीं है. लैब में विद्यार्थियों की साइंटिफिक थिंकिंग भी प्रमोट होगी. आसपास के स्कूलों के बच्चे भी यहां आ सकते हैं और विज्ञान से जुड़ी जानकारी हासिल कर पाएंगे.
ड्रोन कैसे बनते हैं, यह भी जान पाएंगे
लैब में बच्चे सेटेलाइट लॉन्चर प्रणाली के साथ-साथ ड्रोन बनते हैं, यह भी जान पाएंगे. इसरो के अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स की जानकारी भी यहां मिलेगी. समय समय पर विद्यार्थियों को बंगलुरू सहित अन्य महत्वपूर्ण जगहों पर एक्सपोजर विजिट भी होती रहेंगी. एडीसी कहती हैं कि यूपी के मॉडल को स्टडी कर जिला में ग्रामीण विद्यार्थियों का साइंस एंड टेक्रोलॉजी की तरफ रुझान बढ़ाने के मकसद से यह नया पहल की गई है.
यूपी में कहां है स्पेस लैब
दरअसल, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में भी कुछ ऐसी ही लैब बनी है. जिले के डुमरियागंज में सरकारी स्कूल हसुड़ी औसानपुर केंद्र में यह लैब बनाई गई है. यह देश का पहला सरकारी स्कूल है, जहां पर इसरो के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक नियमित दो घंटे की ऑफलाइन और ऑनलाइन कक्षा