ब्यूरो रिपोर्ट आशीष सिंह राठौड़, आजमगढ़ वीपीडीओ की परीक्षा 2016 में हुई थी। इसमें जब धांधली की बात सामने आई तो विजिलेंस ने जनवरी 2020 में जांच के बाद मुकदमा दर्ज किया। किसी को भी लंबे समय तक नामजद नहीं किया गया।
ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की परीक्षा धांधली में आरोपी अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के तीनों पूर्व अधिकारियों की जमानत हाईकोर्ट से खारिज हो गई है। पूर्व अध्यक्ष रघुवीर सिंह रावत, सचिव मनोहर सिंह कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र सिंह पोखरिया को पिछले साल आठ अक्तूबर को गिरफ्तार किया गया था।
एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि वीपीडीओ की परीक्षा 2016 में हुई थी। इसमें जब धांधली की बात सामने आई तो विजिलेंस ने जनवरी 2020 में जांच के बाद मुकदमा दर्ज किया। किसी को भी लंबे समय तक नामजद नहीं किया गया।
इसके बाद 2022 में एसटीएफ ने आयोग की अन्य परीक्षाओं में हुई धांधली की जांच की तो इस परीक्षा के संबंध में भी कुछ सुराग मिले। इसके बाद शासन के निर्देश पर इस मुकदमे की जांच भी एसटीएफ को सौंप दी गई। एसटीएफ ने गत आठ अक्तूबर को पूर्व अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक को गिरगया।
आरोपी पिछले साल से ही सुद्धोवाला जेल में बंद हैं। उन्होंने पिछले दिनों स्पेशल विजिलेंस कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की। एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि आरोपियों की जमानत याचिका का हाईकोर्ट में भी विरोध किया गया, जिसके बाद वहां से भी इनकी याचिका खारिज हो गई है◊।फ्तार कर लिया