संसद : लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 जिसे एक राष्ट्र-एक चुनाव विधेयक के रूप में जाना जाता है, इसे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने पेश किया। इसके साथ ही राज्यसभा में ‘संविधान पर चर्चा’ जारी है। सत्ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से भी विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की मांग की गई है। वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने विधेयक का समर्थन किया। वही एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के आधारभूत ढांचे के खिलाफ है। यह विधेयक क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म कर देगा और इससे सिर्फ राष्ट्रीय पार्टियों को फायदा होगा। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह लोगों के वोट देने के अधिकार पर हमला है। चुनाव आयोग को इस विधेयक में बहुत ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। संविधान में चुनाव आयोग को सिर्फ चुनाव कराने की व्यवस्था करने का ही प्रावधान किया गया है, लेकिन इस विधेयक में राष्ट्रपति के चुनाव आयोग से चुनाव को लेकर सलाह लेने का प्रावधान दिया गया है, जो संविधान के खिलाफ है।
इधर वीजेपी भाजपा ने एम्स, भुवनेश्वर और अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के चुनाव के लिए मतदान करने के लिए राज्यसभा सांसदों को तीन लाइन व्हिप जारी किए हैं। चुनाव गुरुवार, 19 दिसंबर, 2024 को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक कमरा नंबर 63, संविधान सदन में होगा। टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि संविधान संशोधन के तहत चुनाव आयोग को काफी शक्तियां दी जा रही हैं, जिसके बाद राज्य सरकारें चुनाव आयोग के सामने कुछ नहीं रह जाएंगी। कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के खिलाफ है। वही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी विधेयक का विरोध किया।जबकि एनडीए की सहयोगी तेदेपा ने विधेयक को समर्थन देने की बात कही।