इस योजना में भारतीय दूरसंचार की बड़ी कंपनी भारती एयरटेल के सहयोग से अखौरा सीमा के माध्यम से बैंडविड्थ को रूट करना शामिल था, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में कनेक्टिविटी को और बढ़ाना था.बांग्लादेश ने उठाया ऐसा कदम, मुसीबत में आ जाएंगे पूर्वोत्तर भारत के सारे राज्य!
यूनुस सरकार ने रद्द किया ये समझौता
पूर्वोत्तर राज्यों में मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने की भारत की योजना को बड़ा झटका लगा है क्योंकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पहले से स्वीकृत बैंडविड्थ ट्रांजिट समझौते को रद्द कर दिया है. बांग्लादेश को चिंता है कि इससे देश के क्षेत्रीय इंटरनेट हब बनने की क्षमता कमजोर हो सकती है। बांग्लादेश ने तो ये फैसला ले लिया, लेकिन इससे भारत के पूर्वोत्तर के सारे राज्यों में बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। सूत्रों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के इंटरनेट रेगुलेटर्स ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बैंडविड्थ की आपूर्ति के लिए ट्रांजिट पॉइंट के रूप में काम करने की योजना को कैंसिल करने का फैसला किया है. उन्हें चिंता है कि इससे देश के क्षेत्रीय इंटरनेट हब बनने की क्षमता कमजोर हो सकती है. बीते साल बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) ने परमिशन के लिए दूरसंचार मंत्रालय से कांटेक्ट किया था. उस समय बांग्लादेशी कंपनीज समिट कम्युनिकेशंस और फाइबर होम ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में सिंगापुर से हाई-स्पीड बैंडविड्थ की आपूर्ति करने का प्रस्ताव पेश किया था।
बांग्लादेश को नहीं हुआ आर्थिक लाभ
इस योजना में भारतीय दूरसंचार की बड़ा कंपनी भारती एयरटेल के सहयोग से अखौरा सीमा के माध्यम से बैंडविड्थ को रूट करना शामिल था, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में कनेक्टिविटी को और बढ़ाना था. इससे पहले 1 दिसंबर को अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (BTRC) के माध्यम से पार्टनरशिप को कैंसिल करने का आदेश दिया था। बीटीआरसी का कहना था कि इस ट्रांजिट फैसिलिटी से बांग्लादेश को कोई आर्थिक लाभ नहीं हुआ है, जबकि भारत की डिजिटल कनेक्टिविटी को इससे काफी फायदा हुआ है. हालांकि, यह निर्णय केवल आर्थिक कारणों से नहीं बल्कि कई अन्य कारणों से भी लिया गया है।
क्यों लिया यूनुस सरकार ने ये फैसला
समिट कम्युनिकेशंस और फाइबर एड होम जैसी कंपनियों को बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग का बेहद करीबी कहा जाता है. समिट कम्युनिकेशंस के चेयरमैन मोहम्मद फरीद खान अवामी लीग के वरिष्ठ नेता और सांसद फारूक खान के छोटे भाई हैं। यूनुस सरकार ने इन कंपनियों के प्रभाव को कम करने और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए यह निर्णय लिया है।
