CBI के समन पर नही पेश होंगे अखिलेश यादव, अवैध खनन मामले में होनी थी गवाही

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लखनऊः अवैध खनन मामले में सीबीआई द्वारा अखिलेश यादव को जारी किए गए समन को लेकर नई जानकारी सामने आ रही है. सूत्रों के मुताबिक सपा मुखिया अखिलेश यादव का आज गवाही के लिए दिल्ली जाना मुश्किल लग रहा है. सीबीआई ने अखिलेश यादव को बुधवार को समन जारी कर गवाही के लिए बुलाया था. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज करने के पांच साल बाद अवैध खनन मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बृहस्पतिवार को पूछताछ के लिए एक गवाह के रूप में बुलाया है।

नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे ज्यादा निशाने पर सपा है तथा चुनावों के नजदीक आने के साथ ही नोटिस भी आते हैं. अधिकारियों ने बताया कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के तहत जारी नोटिस में सीबीआई ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को पेश होने के लिए कहा है. यह धारा एक पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति देती है.

सपा प्रवक्ता फखरूल हसन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में बताया कि सीबीआई का नोटिस बुधवार को प्राप्त हुआ है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘सपा सबसे ज्यादा निशाने पर है. साल 2019 में भी मुझे किसी मामले में नोटिस मिला था, क्योंकि तब भी लोकसभा चुनाव था.’ उन्होंने कहा, ‘अब जब चुनाव आ रहा है तो मुझे फिर से नोटिस मिल रहा है. मैं समझता हूं कि जब चुनाव आएगा तो नोटिस भी आएगा. यह घबराहट क्यों है? “अगर पिछले 10 वर्षों में आपने (भाजपा ने) बहुत काम किया है तो फिर आप क्यों घबराए हुए हैं?”

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री यहां एक्सप्रेसवे पर ‘हरक्यूलिस’ विमान से उतरे। यह समाजवादियों का काम था. आप देश में ऐसा राजमार्ग क्यों नहीं बना सकते जहां ‘हरक्यूलिस’ विमान उतर सके.’ यादव के खिलाफ मामला ई-निविदा प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने से संबंधित है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. आरोप है कि 2012-16 के दौरान, जब यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो लोकसेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया.