पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद मध्य वर्ग से लेकर कारोबार जगत और औद्योगिक एवं राजनीतिक गलियारों में शोक जताया गया। खांटी नेता न होते हुए भी उन्होंने राजनीतिक मोर्चे पर इतना कुछ हासिल किया, जिसकी कुछ लोग सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं। डा. सिंह एक बुद्धिजीवी भी थे और उन्होंने भारतीय नीतिगत परिदृश्य पर अपनी व्यापक छाप छोड़ी।
