सुखोई-27 से रीपर ड्रोन का टकराव: रूस-अमेरिका बता रहे अलग-अलग घटनाक्रम, क्या पहले भी ऐसा हुआ, जानें सबकुछ

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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मंगलवार को काला सागर (ब्लैक सी) पर हुए घटनाक्रम ने पूरे दुनिया की नींद उड़ा दी। दरअसल, यहां अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में रूस के सुखोई-27 विमान के अमेरिका के रीपर ड्रोन से टकराने की खबरें हैं। हालांकि, इस घटना को लेकर अमेरिका और रूस दोनों के ही अलग-अलग बयान हैं। दोनों ही देशों ने इसे लेकर राजनयिक स्तर पर विरोध दर्ज कराया है। ऐसे में यह जानना अहम है कि काला सागर के ऊपर आखिर हुआ क्या था? इस घटना को लेकर दोनों देशों का आधिकारिक बयान क्या है? काला सागर का क्षेत्र दोनों देशों के लिए इतना अहम क्यों है? क्या ऐसी घटना पहले भी कभी हुई है? इसके अलावा इस टकराव में अब आगे क्या हो सकता है?

अमेरिका के मुताबिक क्या है पूरा घटनाक्रम?
अमेरिकी वायुसेना के अधिकारी जनरल जेम्स हेकर ने कहा, हमारा एमक्यू-9 विमान अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र के ऊपर नियमित उड़ान पर था। इस दौरान एक रूसी जेट जानबूझकर अमेरिकी ड्रोन के सामने आ गया और टक्कर के बाद वह काला सागर में गिर गया। अधिकारी ने कहा कि मानवरहित ड्रोन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। काला सागर दरअसल वह क्षेत्र है, जिसकी सीमाएं रूस और यूक्रेन से मिलती हैं। यूक्रेन को लेकर इस क्षेत्र में लंबे अरसे से तनाव बना हुआ है।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने कहा कि दो रूसी Su-27 विमानों ने अमेरिकी वायुसेना के खुफिया, निगरानी और टोही मानवरहित MQ-9 ड्रोन का पीछा किया, जो काला सागर के ऊपर अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में उड़ान पर था। उन्होंने कहा कि टक्कर से पहले कई बार Su-27 जेट MQ-9 के सामने से करीब 30-40 मिनट तक उड़े। बाद में रूस का एक जेट जानबूझकर अमेरिकी ड्रोन के ऊपर आ गया और अपने ईंधन को ड्रोन के ऊपर डंप कर दिया। इस घटना के कुछ देर बाद सुखोई-27 ने टक्कर मारकर ड्रोन के प्रोपेलर को क्षतिग्रस्त कर दिया। प्रोपेलर ड्रोन के पीछे की ओर लगा था। इस घटना के चलते अमेरिकी सेनाओं को ड्रोन को काला सागर में उतारना पड़ा।

घटनाक्रम का रूस ने किस तरह जिक्र किया?
उधर, रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिकी ड्रोन उसकी सीमाओं के पास उड़ रहा था और इसी दौरान वह ऐसे क्षेत्र में पहुंच गया, जो कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से बाहर था। इसके बाद रूसी वायुसेना ने अपने फाइटर जेट्स को मोर्चे पर लगाया। रूस के मुताबिक, लड़ाकू विमानों की कुशलता की वजह से अमेरिकी ड्रोन खुद ही नियंत्रण खो बैठा और लगातार ऊंचाई खोते हुए काला सागर में गिर गया।
रूस ने साफ किया है कि उसका लड़ाकू विमान अमेरिकी ड्रोन से नहीं टकराया, बल्कि ड्रोन पहले ही काला सागर में गिर गया। रूस ने दावा किया है कि उसके लड़ाकू विमान ने किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया, न ही जेट्स किसी तरह से भी ड्रोन के संपर्क में आए।
गौरतलब है कि रूस ने क्रीमिया के करीब बॉर्डर क्षेत्रों पर निगरानी तंत्र जुटा रखा है और इस क्षेत्र को बाकी देशों के लिए ऑफ लिमिट घोषित किया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत कोई भी देश किसी और देश की सीमा के करीब के इलाके को ऑफ लिमिट घोषित नहीं कर सकता।

दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर पर क्या हुआ?

1. अमेरिका
अमेरिकी सैन्य ड्रोन के गिरने की घटना पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हमने कड़ी आपत्ति जताने के लिए रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव को तलब किया है। प्राइस ने यह भी कहा कि रूस में अमेरिकी राजदूत लिन ट्रेसी ने भी रूसी विदेश मंत्रालय को एक कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि हम इस मामले पर रूस से वरिष्ठ नेताओं के स्तर पर बात कर रहे हैं। यह एक असुरक्षित और अव्यवसायिक घटना थी।
2. रूस
दूसरी तरफ रूसी राजदूत एंटोनोव ने कहा कि इस घटना को लेकर एहतियात बरते जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अब तक क्रीमिया को रूस का हिस्सा नहीं मानता, लेकिन क्या यह जरूरी था कि वह रूस को भड़काने के लिए अपने ड्रोन्स का इस्तेमाल करे। उन्होंने कहा कि हम क्रीमिया को रूस का ही हिस्सा मानते हैं। ऐसे में अमेरिका की अपनी समस्याएं हैं। लेकिन हम इस तरह की भड़काने वाली घटनाओं का सख्त विरोध करते हैं।

क्या पहले भी हुई ऐसी घटनाएं?
यह पहली बार नहीं है जब काला सागर क्षेत्र में कोई रूसी विमान किसी अमेरिकी एयरक्राफ्ट के इतना करीब से उड़ा हो। 2020 में ही रूस के एक फाइटर जेट ने काला सागर के ऊपर अमेरिका के बी-52 बॉम्बर का रास्ता रोकने की कोशिश की थी। यह दोनों एयरक्राफ्ट तब सामने से 100 फीट (30 मीटर) तक करीब आ गए थे, जिससे दोनों ही असंतुलित हुए थे।
इतना ही नहीं 2021 में काला सागर क्षेत्र में ही अमेरिकी युद्धपोतों के सैन्य अभ्यास के दौरान कुछ रूसी लड़ाकू विमान अमेरिकी डेस्ट्रॉयर यूएसएस डोनाल्ड कुक के ऊपर से उड़ान भरते देखे गए थे। गौरतलब है कि 2014 में रूस की तरफ से क्रीमिया पर कब्जा किए जाने के बाद से ही अमेरिका के यह युद्धपोत लगातार काला सागर में तैनात किए जाने लगे थे। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच इन्हें क्षेत्र से वापस बुला लिया गया।