शबरी के पावन कुटी पर पहुंच कर अपने भक्त के प्रतीक्षा का अंत

धर्म/ आध्‍यात्‍म/ संस्‍कृति

बहराइच संवाददाता कृष्ण चंद शुक्ला

 

 

नवयुवक धर्मोउत्तथान समिति कांधी कुईया के तत्वाधान में चल रहे सप्त दिवसीय विराट मानस यज्ञ के चतुर्थ दिवस कथा वाचिक द्वारा माता शबरी और भगवान श्रीराम की मनोहारी कथा के प्रस्तुति से श्रोतागण झूम उठे।
बाबा रामप्रकाश के पावन तपोस्थली के ग्राम कान्धीकुइयाँ में आयोजित मानस यज्ञ के चतुर्थ दिवस काशीधाम से आयीं हुई बाल व्यास प्रज्ञा शुक्ला” प्रसून”ने माता शबरी के भक्ति भाव का वर्णन करते हुये कहा कि प्रभु राम का जन्म होने के पूर्व से ही सबरी प्रभुश्रीराम की प्रतीक्षा कर रही थी उन्हें पूरा विश्वास था कि कोई पुरुषोत्तम आयेगा जो मेरी प्रतीक्षा का अंत करेगा।साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि भगवान श्री राम ने शबरी के भक्ति भाव का मान रखते हुये हजारो कोस लम्बे जंगल के कठिन और दुर्गम मार्ग को पार कर शबरी के पावन कुटी पर पहुंच कर अपने भक्त के प्रतीक्षा का अंत किया।उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का वनगमन माता शबरी के प्रतीक्षा का भी कारण रहा।श्रीप्रसुन ने कहा कि परमात्मा अपने भक्तों का सदैव मान रखते है,वे अपने भक्तों को कभी निराश नही करते।कथावाचिका द्वारा प्रस्तुत भजन पर श्रोता भक्तिरस में डूबे रहे।इस अबसर पर आयोजन समिति के अजय तिवारी, अरविंद तिवारी,विश्वप्रकाश, पंकज शुक्ला, सन्तोष तिवारी,सुशील पण्डित,विष्णु पुजारी,अम्बरीश तिवारी,नितिन सहित तमाम श्रोता देर रात्रि तक कथा का आनन्द लेते रहे।