यूपी में भाजपा प्रदर्शनी व संगोष्ठी के जरिए जनता को बताएगी आपातकाल का सच, इमरजेंसी के 50 साल… 21 महीने के अंतराल में इंदिरा गांधी ने जारी किए थे 48 अध्यादेश, संविधान में किए थे कई बदलाव, संपूर्ण क्रांति के आह्वान पर 21 महीने का आपातकाल

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संवाददाता : सत्यवान सिंह चौहान
अगले दिन 25 जून को विपक्षी नेताओं ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल रैली आयोजित की। इसमें जयप्रकाश नारायण ने ”संपूर्ण क्रांति” का आह्वान किया और पुलिस तथा सशस्त्र बलों से अपील की कि वे उन आदेशों की अवहेलना करें जो उनके विवेक के अनुसार अनुचित थे। वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने आपातकाल 21 महीने की अवधि को याद करते हुए कहा,”यदि उनके पास तानाशाही प्रवृत्ति नहीं होती और असुरक्षा का अनुभव नहीं होता, तो वह अदालत के इस निर्णय को लोकतांत्रिक तरीके से लेतीं, लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना।” सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हताश इंदिरा गांधी ने बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे से परामर्श करने के बाद राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को आपातकाल लगाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा है।
जबरन नसबंदी का अभियान भी रहा कुख्यात
आपातकाल की घोषणा से स्वतंत्रता समेत सभी मौलिक अधिकारों, सभा के अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। प्रेस पर पूरे तौर पर सेंसरशिप लागू की गई। न्यायपालिका की कार्यकारी कार्रवाई की समीक्षा की शक्ति को भी सीमित कर दिया गया। सभी लोकतांत्रिक परंपराओं का हनन करते हुए जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी समेत विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी का आदेश दिया।
संजय गांधी के कुख्यात नसबंदी अभियान के तहत जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लाखों पुरुषों की जबरन नसबंदी की गई। अचानक लागू किया गया आपातकाल भी लगभग उसी तरीके से समाप्त हुआ, जब इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी, 1977 को चुनावों और राजनीतिक कैदियों की रिहाई का आह्वान किया।
तीन दशक बाद पाठ्यक्रम का हिस्सा
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल के दमन का पठनपाठन भावी पीढि़यां इस काले अध्याय के तीन दशक बाद ही कर पाईं। एनसीईआरटी की राजनीतिक शास्त्र की किताबों में इस अहम घटनाक्रम को बरसों बाद शामिल किया गया। हालांकि यह भी वर्ष 2007 में कांग्रेस नीत यूपीए के शासनकाल में ही हुआ। लेकिन लोग इस काले इतिहास को कम ही जान पाते हैं क्योंकि कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान बच्चों का पाठ्यक्रम कम करने के लिए भाजपा सरकार ने इस अध्याय के कुछ हिस्सों का हटा दिया है।
जानिए कब क्या हुआ
जनवरी, 1966 में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री निर्वाचित हुईं।
1971 में विपक्षी नेता राज नारायण ने रायबरेली में चुनाव में धांधली की शिकायत दर्ज कराई।
12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनावी धांधली का दोषी ठहराया।
24 जून, 1975 को सुप्रीम कोर्ट में इंदिरा गांधी की सरकार को अनुमति, संसदीय विशेषाधिकार छिने।
25 जून, 1975 को इंदिरा गांधी की सलाह पर तत्कालीन राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की।
18 जनवरी, 1977 को इंदिरा ने नए चुनावों की घोषणा की, राजनीतिक कैदियों की रिहाई के आदेश 16 मार्च, 1977 को इंदिरा गांधी व उनके बेटे संजय गांधी की लोकसभा चुनाव में हार।
21 मार्च, 1977 को आपातकाल का आधिकारिक रूप से अंत।