आजमगढ़: शिब्ली कालेज मे नियुक्ति को लेकर कुलपति पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप

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  • संवाददाता आशीष सिंह राठौड़ आजमगढ़,आजमगढ़ः राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह पुष्कर ने मंगलवार को रोडवेज स्थित एक होटल के सभागार में प्रेसवार्ता कर शिब्ली कालेज में चल रहे नियुक्ति को लेकर आरोप लगाया कि प्रबंध समिति और प्राचार्य मिलकर बगैर लिखित परीक्षा और राजभवन के नवीनतम निर्देशों और मानकों को पूरा किए, नियमों में शिथिलता बरतते हुए फर्जी तरीके से लगभग 55 सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियां कर रहे हैं। जिससे व्यापक पैमाने पर सहायक प्रोफेसर भर्ती घोटाला हुआ। जिसमें न केवल भाई-भतीजावाद और सगे-संबंधियों को नियम विरुद्ध भर्ती कर रहे है, बल्कि भारी पैमाने पर लूट और भ्रष्टाचार भी हो रहा है। इसकी शिकायत शिकायत अगस्त-2023 में ही मुख्यमंत्री से लेकर राजभवन तक किया था। उन्होंने कहाकि शिनेका के पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को कुलपति द्वारा बगैर जांचे परखे अनुमोदित किया जाना व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है जबकि हमने उन्हें पूर्व में ही शिकायतों से अवगत करा दिया था। प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के आदेश पर कमिश्नर और डीएम आजमगढ़ द्वारा गठित की गई त्रि- सदस्यीय जांच समिति के समक्ष दिन में लगभग 01 बजे उपस्थित होकर शिब्ली के भ्रष्टाचार से संबंधित 137 पन्नों के अपने अभिकथन औरपन्नों के अपने अभिकथन और साक्ष्यों को रिसीव कराया और उम्मीद जताया कि जांच समिति हमारे साक्ष्यों, तथ्यों और अभिकथनों के आधार पर घोटाले की परत परत खोल देगी। वहीं इस संबंध में महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्विद्यालय आजमगढ़ के कुलपति प्रदीप कुमार शर्मा का कहना है कि नियुक्ति की प्रक्रिया होती है, उत्तर प्रदेश शासन और विश्वविद्यालय के अधिनियम में प्रविधान उल्लेख है, उसके अनुसार प्रक्रिया को देखा जाता है और जो आरोप कुलपति पर लगाया जा रहा है वह बिल्कुल निराधार है, संस्था नियमों से बधी है, फिर हाल राज्य भवन से जो भी शिकायत मिली थी सभी के संबंध मे जो भी अभिलेख उपलब्ध है उस आधार पर परीक्षण करके आख्या राज्य भवन को भेज दी गयी है वही उन्होंने यह भी कहा कि आगे जो भी शासन का निर्देश होगा उसका पालन किया जायेगा उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि अगर किसी का रिश्तेदार साक्षात्कार में शामिल होता है तो उसको चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता है। नियुक्तियों की फाइलों का परीक्षण किया जा रहा है। अगर नियमों का उल्लघंन पाया जाता है तो अनुमोदन रोक दिया जाएगा