सिंदूर खेला के रंग में रंगी श्रद्धा, मां दुर्गा की मूर्ति का धूमधाम से हुआ विसर्जन

धर्म/ आध्‍यात्‍म/ संस्‍कृति

संवाददाता : रामनरायन राय उर्फ बबलू राय
आजमगढ़ जनपद के दुर्गा पुजा में प्रतिमा विसर्जन के दौरान महिलाएं एक खास परंपरा निभाती है। इसको सिंदुर खेला के नाम से नाम से जाना जाता है। इस सिंदुर खेला की शुरूआत बंगाल से हुई है। बंगाल की यह परंपरा धीरे-धीरे देशभर में फैल गया। दशहरे की समाप्ति के उपरांत आजमगढ़ में दुर्गा शक्ति सेवा ट्रस्ट की अध्यक्ष पूजा सिंह की अगुवाई में सिंदुर खेला का आयोजन किया गया। इस दौरान सिंदूर खेला में देखते हीं देखते महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और पति की लंबी उम्र की कामना की। इस कार्यक्रम में लकी ड्रा भी कराया गया, जिसमें विजेताओं को गिफ्ट भी दिया गया।
बता दें कि मां दुर्गा की विदाई की इस बेला में महिलाओं की आंखें नम थी। संगठन की महिलाओं ने सिंदूर खेला के दौरान एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। इतना ही नहीं, मां के इस सिंदूर को खुद भी महिलाओं ने अपनी मांगों में लगाया। दुर्गा सेवा ट्रस्ट की अध्यक्ष व कार्यक्रम की आयोजक पूजा सिंह ने बताया कि सिंदूर खेला के साथ ही मां को मीठा खिलाकर विदा करते हैं और सिंदूर लगाकर परिवार के साथ ही पति के दीर्घायु होने की कामना करते हैं। दुर्गा विसर्जन के दिन आरती के साथ सिंदूर खेला की प्रक्रिया आरंभ होती है। इसके पश्चात लोग मां दुर्गा को भोग अर्पित करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं। मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष एक शीशा रखा जाता है, जिसमें माता के चरणों के दर्शन होते हैं। यह मान्यता है कि इस शीशे में देखने पर घर में सुख और समृद्धि का निवास होता है। पूजा सिंह ने बताया कि सिंदूर खेला का यह रस्म परंपरागत रूप से विवाहित महिलाओं के लिए है।