श्रीश्री 1008 महाराजाधिराज चक्रवर्ती सम्राट कचहरी वाले बाबा आश्रम मे आज शनिवार को वार्षिक शृंगार-पूजन कर भंडारे का किया आयोजन

धर्म/ आध्‍यात्‍म/ संस्‍कृति

संवाद दाता:-सिद्धांत बच्चन 

मीरजापुर। श्रीश्री 1008 महाराजाधिराज चक्रवर्ती सम्राट कचहरी वाले बाबा आश्रम मे आज शनिवार को वार्षिक शृंगार-पूजन कर भंडारे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित विशाल भंडारे में प्रसाद ग्रहण करने के लिए भक्तों का तांता देर रात्रि तक चलता रहा। कचहरी स्थित आश्रम परिसर में बाबा की खाट और उनकी समाधि स्थल को फूलों से भव्य सजाया गया था। बाबा का दर्शन कर श्रद्घालु निहाल हो रहें थे। आश्रम परिसर में लोग मधुर भजनों को प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बनाये थे। आश्रम परिसर में जहां एक ओर विशाल भंडारे का क्रम निर्बाध गति से चल रहा था, वहीं बाबा के दिव्य स्वरूप का दर्शन-पूजन करने के लिए भक्तों का रेला भी लगा रहा। आश्रम में पूर्वान्ह 11:30 बजे दूरदराज से आए साधु-संतों को प्रसाद ग्रहण कराकर विशाल भंडारे का शुभारंभ किया गया, जो देर रात तक तक अनवरत चलता रहा। क्या छोटे, क्या बड़े सभी कतार में बैठकर प्रसाद ग्रहण करते नज़र आए। आश्रम में बाबा की खाट सहित उनकी समाधि पर फूलों से की गई सजावट एक अलौकिक छटा बिखेर रही थी। कचहरी वाले बाबा की मूर्ति के साथ-साथ हनुमान जी की भी मूर्ति का भव्य श्रृंगार किया गया था जिसे दर्शन कर भक्त निहाल हो रहें थे। माला-फूल, प्रसाद लेकर आश्रम पहुंचे भक्त बड़े ही श्रद्घाभाव से बाबा का दर्शन-पूजन कर रहे थे। बाबा के जयकारे से पूरा आश्रम परिसर गुंजायमान हो रहा था। गौरतलब हो कि मीरजापुर के कचहरी बाबा एक आध्यात्मिक पुरुष थे, न कि कोई राजसत्ता वाले, उन्हें लोग भगवान का स्वरूप मानते हैं, वह अपनी आंतरिक आध्यात्मिकता के लिए जाने जाते थे, लोगों अनुसार बाबा सांसारिक आकर्षणों से मुक्त एक साधक थे। बाबा के अनुयायी बाबा को “श्री श्री 1008 महाराजाधिराज चक्रवर्ती सम्राट की संज्ञा दिये थे और आश्रम को “अमरगढ़ किला महाराज” के नाम से पुकारते हैं, जो उनके प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को दर्शाता है। उनका आश्रम दीवानी कचहरी परिसर में स्थित है, जो लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। बाबा का आश्रम मीरजापुर के दीवानी कचहरी परिसर में स्थित है। उनके अनुयायियों के लिए बाबा का आश्रम आस्था का केंद्र है। उनकी वह चारपाई, जिस पर वह शयन करते थे, भक्त फूलों से सजाकर उनके निर्वाण दिवस पर पूजन करते हैं।