बाराबंकी: मिड-डे मील घोटाले में सात को 10-10 साल की सजा, जुर्माना

CRIME

राघवेंद्र मिश्रा, बाराबंकी: जिले के बहुचर्चित मिड-डे मील घोटाले में अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने बृहस्पतिवार को तत्कालीन जिला समन्यवक, शिक्षा विभाग के एक लिपिक समेत सात लोगों को 10-10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। इनमें छह पर 15-15 व एक पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। सातों को जेल भेज दिया गया। सहायक शासकीय अधिवक्ता सुनील कुमार दुबे ने बताया कि 29 दिसंबर 2018 को तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वीपी सिंह ने शहर कोतवाली में इसका मुकदमा दर्ज कराया था। कहा गया था कि बीडीओ द्वारा भेजे गए मांग पत्र के अनुसार जिला समन्वयक मध्यान्ह भोजन द्वारा विद्यालय वार निधि खातों में भेजने की पत्रावली कोषागार भेजी जाती है। इसके बाद विद्यालयों के खाते में धनराशि भेजी जाती है। लेकिन जिला समन्यवक एमडीएम राजीव शर्मा, इनके सहयोगी रहीमुद्दीन व अन्य ने संगठित गिरोह बनाकर अभिलेखों में हेराफेरी करके कोषागार से एमडीएम की चार करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि का गबन कर लिया। इस पर शहर कोतवाली में जिला समन्वयक मध्यान्ह भोजन राजीव शर्मा, रहीमुद्दीन व अन्य के विरुद्ध धोखाधड़ी, कूटरचना व गबन की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। पांच अन्य अभियुक्तों साधना निवासी भरतपुरी बी तालकटोरा लखनऊ, असगर मेहंदी निवासी ठाकुरगंज लखनऊ, अखिलेश कुमार शुक्ला निवासी मोहल्ला आजाद नगर मोहल्ला शहर कोतवाली, रोज सिद्दीकी निवासी सना अपार्टमेंट कल्याणपुर लखनऊ, रघुराज सिंह उर्फ किशन निवासी कल्याणपुर थाना गुडंबा लखनऊ की भी इस मामले में संलिप्ताता पाई गई। पुलिस ने सातों अभियुक्तों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले मिड डे मील योजना के अन्तर्गत सरकारी स्कूलों को मिलने वाली योजना की धनराशि निजी खातों में स्थानांतरित करने की बात कही गई थी।

दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात न्यायाधीश अनिल शुक्ल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी सातों अभियुक्तों को 10 वर्ष की कठोर कैद व छह पर 15-15 हजार रुपये व बाबू अखिलेश कुमार शुक्ला पर 50 हजार का जुर्माना लगाया है। इनमें अखिलेश शुक्ला को छोड़ बाकी लोग संविदा पर तैनात थे।

छह साल तक गबन के पैसों पर करते रहे ऐश
सरकारी विद्यालय के नौनिहालों के मुंह का निवाला डकारने की यह कलंक कथा करीब छह साल तक चलती रही। तीन बीएसए व दो लेखाधिकारी बदल गए मगर भनक तक नहीं लगी। दिसंबर 2018 में जब यह खेल पकड़ा गया तो अधिकारी भी दंग रह गए। आरोपियों का रहन-सहन व शौक इतने महंगे थे कि हमेशा बीएसए आफिस में इनकी चर्चाएं होती रहती थी।बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों व पुलिस सूत्रों के अनुसार मिड-डे मील की धनराशि हड़पने का खेल वर्ष 2012 में शुरु हुुआ था। 25 नवम्बर 2013 को सबसे पहले रहीमुद्दीन ने पंजाब नेशनल बैंक के खाते में 18 हजार रुपये भेजे थे। इसके बाद परिषदीय स्कूलों के नाम पर फर्जी आईडी नंबर से निजी खातों में रकम भेजकर घोटाले का खेल शुरू हो गया। दिसंबर 2018 में बीएसए वीपी सिंह ने यह खेल पकड़ा। जांच में पता लगा था कि रहीमुद्दीन के खाते में तीन करोड़ 37 लाख रुपये, साधना के खाते में 41 लाख 22 हजार, रोजी के खाते में करीब 49 लाख, रघुराज के खाते में करीब 55 लाख रुपये भेजे जा चुके थे। इस मामले में बीएसए कार्यालय में तैनात रहे प्रधान लिपिक अखिलेश शुक्ला 21 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया था। अखिलेश शुक्ला जमानत पर छूटने के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात कर दिए गए थे। खास बात यह है कि 2013 से 2018 तक हुए एमडीएम घोटाले में इस अवधि में जिले में तीन बीएसए व दो लेखाधिकारी आए और चले गए मगर उन्हें इसका पता ही नहीं लगा।