केदारनाथ धाम में हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट सहित सात की मौत

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उत्तराखंड
केदारनाथ में मंगलवार को हुए हेलीकॉप्टर हादसे से सुरक्षा एजेंसी से लेकर प्रशासन तक अलर्ट मोड पर आ गया है। चिंता की बात है कि मानकों का उल्लंघन कर हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे हैं, जिससे तीर्थ यात्रियों की जान पर भी बनी रहती है। एक दिन में चॉपर के उड़ाने भरने की संख्या हैरान करने वाली है।केदारनाथ में हेली यात्रियों की संख्या बढ़ने पर अब एक साफ मौसम वाले दिन में ढाई सौ तक उड़ानें संभव हो जाती हैं। हालांकि ऐसा बहुत कम हो पाता है। उड़ान की संख्या का गणित मौसम और सूर्यास्त- सूर्योदय पर निर्भर करता है। बाबा केदार के धाम के लिए 2004 में महज एक कंपनी से हेली ऑपरेशन की शुरुआत हुई थी, इस साल यह संख्या नौ कंपनियों तक पहुंच गई है। नागरिक उड़्डयन विभाग के अनुसार डीजीसीए के मानकों के मुताबकि सूर्येादय के आधा घंटे बाद हेली ऑपरेशन शुरू किए जाते हैं, जो सूर्यास्त से आधा घंटे पहले थम जाते हैं।
इस तरह जून के महीने में अक्तूबर के माह के मुकाबले उड़ान का अधिक समय मिलता है। इन दिनों धाम में पौने सात बजे तक ही ऑपरेशन शुरू हो पा रहा है। एक निजी कंपनी के डायरेक्टर ने बताया कि डीजीसीए की ओर तय स्लॉट के अनुसार एक ऑपरेटर एक दिन में अधिकतम 30 शटल सेवा संचालित कर सकता है। नौ कंपनियों के लिहाज से साफ मौसम वाले एक पूरे दिन में अधिकतम 270 तक शटल हो सकती हैं। लेकिन कई वजहों से यह संख्या अधिकतम ढाई सौ तक ही पहुंच पाती है। लेकिन ऐसा पूरे सीजन में एक या दो दिन ही हो पाता है। शेष दिनों में बारिश या कोहरे के कारण औसत शटल डेढ़ सौ से नीचे ही रहती हैं। डीजीसीए ने एक वक्त में छह हेली के ही हवा में होने का नियम लागू किया है।
वन विभाग के मानकों का उल्लंघन कर रही हैं कंपनियां
केदारनाथ के लिए हेली सेवाओं का जोर पकड़ने के साथ ही इस संवेदनशील क्षेत्र में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए तय मानकों भी जमकर उल्लंघन हो रहा है। हेली सेवा संचालन के लिए वन्य जीव संस्थान की ओर से यहां सख्त मानक बनाए गए हैं। जिसमें हेली सेवा की उड़ान जमीन से छह सौ मीटर ऊंचाई पर रखने के साथ ही ध्वनि प्रदूषण का मानक अधिकतम 50 डेसिबल तक रखने को कहा गया है। नियमानुसार हेली कंपनियों को अपनी उड़ान का विवरण वन विभाग को देना होता है, साथ ही विभाग भी समय समय पर मानकों की जांच करता है। लेकिन हेलीकॉप्टर कई बार महज दो सौ मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए, सौ डिसिबल तक ध्वनि प्रदूषण करते हुए पाए गए हैं।
इसी साल जून के पहले सप्ताह में केदारनाथ वन प्रभाग ने एक हेली कंपनी का चालान किया था। नीचे उड़ान भरने से पशु पक्षियों की सामान्य दिन चर्या प्रभावित होती है। इस कारण इस शांत क्षेत्र में अत्यधिक शोर और वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
चंद मिनटों में कोहरे के बीच आग के गोलों में तब्दील हुआ था हेलीकॉप्टर
केदारनाथ की पहाड़ियों में यूं तो हेलीकॉप्टर की गूंज सामान्य बात है, किंतु तेज और करकराती आवाज घाटी में कम ही सुनने को मिलती है ऐसा किसी दुर्घटना का संकेत ही माना जाता रहा है या हेलीकॉप्टर में कोई बड़ी खराबी आने से ही ऐसा प्रतीत होता है। सुबह का समय होने के कारण यात्रा मार्ग में गरुड़चट्टी के सीधे सामने यात्रा मार्ग पर बड़ी संख्या में यात्रियों की आवाजाही हो रही थी। इसी बीच हेलीकॉप्टर के पहाड़ी पर टकराने की आवाज सुनते ही सभी चौंक गए। केदारनाथ से लगी पहाड़ी गरुड़चट्टी में वर्षो से रह रहे संत ललित बाबा ने बताया कि मौसम खराब के बावजूद हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी और केदारनाथ से उड़ते ही गरुड़चट्टी की पहाड़ी पर टकरा गया। इस वक्त चारों को घना कोहरा लगा था। तेज टेंक फटने जैसी आवाज आई। पैदल मार्ग पर चल रहे यात्री सोमेश ने बताया कि आवाज सुनकर ऐसा लगा कि मानों कोई चीज तेजी से पहाड़ी पर लग गई है। कोहरा अधिक होने के कारण हेलीकॉप्टर तो नहीं दिखाई दिया किंतु कुछ ही देर में यहां आग और धुए का गुब्बार दिखाई देने लगा।
चश्मदीद ने बताई पूरी घटना…
यात्री शंकर राम ने बताया कि पैदल मार्ग पर हल्की बूंदा बांदी भी हो रही थी जबकि ऊपरी पहाड़ियों में कोहरा लगा था। हेलीकॉप्टर लगातार उड़ रहे थे। इसी बीच तेज आवाज सुनते ही यहां लोग जमा हो गए। कहा कि चॉपर क्रैश के बाद सभी तीर्थ यात्री बुरी तरह से सहम गए थे। तीर्थ यात्रियाें ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा की भी कामना की थी, लेकिन हादसे में सभी की मौत हो गई। मृतकों में 3 यात्री गुजरात, एक मुंबई, एक कर्नाटक और एक झारखंड का बताया गया। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि दुखद घटना में सभी सात लोगों की मौत हो गई। रेस्क्यू टीम द्वारा सभी सात शव बरामद कर लिए गए हैं। वहीं घटना के बाद सभी हेलीकॉप्टर सेवाएं बंद रही।