- प्रभु राम के विजय दिवस के साथ दशानन रावण की माननी चाहिए पुण्यतिथि/ सुनील सरदारपुरी
(बलिया) रसड़ा / प्रभु श्री राम के विजय दिवस मनाने के साथ साथ विजयदशमी को दशानन रावण की पुण्यतिथि मनानी चाहिए। क्योंकि रावण का प्रभाव दिन प्रतिदिन भारत मे बढ़ता जा रहा है प्रत्येक विभाग भ्रष्टाचार का शिकार हो रहा है सीता हरण से लेकर अत्याचार व्यभिचार सभी मौजूद हैं। लंकापति रावण विद्वान ब्राह्मण थे इतने विद्वान थे कि मरते वक्त प्रभु श्री राम ने भाई लक्ष्मण को ज्ञान लेने हेतु दशानन रावण के पास भेजें रावण ने लक्ष्मण जी को ज्ञान प्रदान किया इस हिसाब से शेषा अवतार लक्ष्मण जी के रावण गुरु हुए और उनके गुरु की पुण्यतिथि माननी चाहिए। रावण इतना बुद्धिमान था कि अपने साथ अपने पूरे परिवार को प्रभु राम के हाथों मुक्ति दिलवा दिया। क्षेत्र के मशहूर व्यंग रचनाकार सुनील कुमार ‘सरदासपुरी’अपने रचना में लिखते हैं। हर साल राम वन गमन होता है, हर साल सीता हरण होता है, हर साल राम रावण युद्ध होता है, हर साल रावण मारा जाता है और जितना ही रावण मारा जाता है, उतना ही भारत में भ्रष्टाचार बढ़ता जाता है। और जिसका प्रभाव बढ़ता है उसकी पुण्यतिथि माननी चाहिए। विजरदशमी के दिन प्रभु राम के विजय दिवस के साथ दशानन रावण की पुण्यतिथि माननी चाहिए।