अप्रैल में नया सत्र शुरू होते ही अभिभावकों पर बढ़ी फीस का बोझ पड़ गया है। उत्तर प्रदेश अनएडेड स्कूल एसोसिएशन ने पांच से सात फीसदी फीस बढ़ाने की घोषणा की है। हालांकि एडमिशन फीस और कई अन्य मदों की वजह से काफी विद्यालयों में यह फीस बढ़ोतरी 10 से 12 फीसदी तक पहुंच गईइंदिरानगर निवासी अर्चना ने बताया कि – मेरी दो बेटियां हैं, नए सत्र से एक बेटी पांचवीं जबकि दूसरी सातवीं कक्षा में प्रवेश करेगी। फीस बढ़ने से नए सिरे से बजट तैयार करना होगा। बच्चों को पढ़ाना जरूरी है इसलिए अन्य मदों में कटौती करनी होगी। उनके अनुसार, स्कूल की ओर से बताया गया कि इस बार 200 रुपये प्रतिमाह फीस बढ़ाई गई है। पिछले साल मासिक फीस 2850 रुपये थी जो नए सत्र से 3050 हो गई है। साउथ सिटी निवासी अतुल ने बताया कि मेरे बेटे आदित्य का एडमिशन नर्सरी कक्षा में होना है। बताया, स्कूल की ओर से जानकारी दी गई कि प्रवेश शुल्क 20 हजार रुपये है।
इसके बाद हर महीने अच्छी-खासी अलग से फीस देनी है। कुल फीस के साथ ही निजी विद्यालयों में करीब 12 फीसदी एडमिशन फीस बढ़ाई गई है। इसमें कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स भी शामिल है।
फीस ही नहीं बच्चों की किताबें, ड्रेस व वाहन शुल्क भी बढ़ाया गया है। सत्र 2024-25 के लिए शहर के नामचीन विद्यालयों में नर्सरी और यूकेजी कक्षा में बच्चों का प्रवेश शुल्क 20 हजार रुपये तक है।
इसके बाद हर महीने अच्छी-खासी अलग से फीस देनी है। कुल फीस के साथ ही निजी विद्यालयों में करीब 12 फीसदी एडमिशन फीस बढ़ाई गई है। इसमें कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स भी शामिल है।
फीस ही नहीं बच्चों की किताबें, ड्रेस व वाहन शुल्क भी बढ़ाया गया है। सत्र 2024-25 के लिए शहर के नामचीन विद्यालयों में नर्सरी और यूकेजी कक्षा में बच्चों का प्रवेश शुल्क 20 हजार रुपये तक है।
■ निजी विद्यालयों में शिक्षा व अन्य व्यवस्थाओं की फीस दर अलग-अलग हैं। इसके बावजूद कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म की कीमत लगभग हर जगह काफी अधिक है।
नियमानुसार पांच से सात फीसदी की होती है बढ़ोतरी
महंगाई के आधार पर ही फीस की बढ़ती है। फीस की गाइडलाइन सभी निजी विद्यालयों की वेबसाइट पर अपडेट की गई हैं। प्रत्येक साल नियमतः करीब पांच से सात फीसदी की फीस शुल्क बढ़ाया जाता है। स्कूल मे बेहतर शिक्षा का माहौल हो, इसके लिए विद्यार्थियों को बेहतर व्यवस्थाएं दी जाती हैं।
अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश अनएडेड स्कूल एसोसिएशन
■ निजी विद्यालयों में शिक्षा व अन्य व्यवस्थाओं की फीस दर अलग-अलग हैं। इसके बावजूद कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म की कीमत लगभग हर जगह काफी अधिक है।
है। इससे अभिभावक परेशान हैं।