गांव में लगा गंदगी का अंबार, जगह जगह जलभराव

स्थानीय समाचार

स्वच्छ भारत मिशन को मुंह चिढ़ा रहा ग्राम पंचायत अमोली कलां

नीरज शुक्ला/ रामनगर बाराबंकी:

विकासखंड क्षेत्र में ग्राम पंचायत अमोली कलां जिसमे लगभग 3500 वोटर व लगभग 10 हज़ार से ज्यादा आबादी वाला गांव अपनी बदहाली पर आंसू बहाने पर मजबूर है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत कही जाने वाली अमोली कलां में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। गांव में प्रवेश करते ही रविन्दु मिश्रा, गोविंद नारायण के घर के ठीक सामने सड़क पर हमेशा जलभराव रहता है और लोगों का कहना है कि लगभग 5 साल से जलभराव है जिसके कारण अनेक प्रकार की बीमारियां दिन-प्रतिदिन जन्म ले रही है लेकिन ध्यान देने वाला कोई नही है। गांव के अधिकांश हैंडपम्प खराब पड़े है कुछ हैंडपम्प सालों से खराब पड़े है। गांव की अधिकांश सड़कें खराब पड़ी है कुछ तो इस तरह की सड़कें है जो आधी अधूरी है। गांव के ही परशु के घर से लेकर ननकू,जगन्नाथ,के घर से सागर के घर तक पूरी सड़क जर्जर है लेकिन ध्यान देने वाला कोई नही है।गांव की अधिकांश नालियां खराब पड़ी है,नाली का पानी सड़कों पर आ जाता है जिसकी वजह से गांव की अधिकांश सड़कों पर जलभराव बना रहता है।गांव के ही राम कुमार, कमलेश कुमार सहित दर्जन भर ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर साल भर हो गए लेकिन कोई सफाईकर्मी नही आया नालियों को साफ करने इन नालीयों को हम लोग अपने हाथ से साफ करते है। एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार लाखों-करोड़ों खर्च करके एक मिशन के तहत पूरे उत्तर प्रदेश को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने का कार्य कर रही है वही दूसरी तरफ अमोली कलां जैसे गांव सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को मुह चिढ़ा रहे है।

बदहाल पड़ा मिला शौचालय

जब हमारे संवाददाता ने गांव जाकर कवरेज की तो देखा कि शौचालय में गंदगी बेसुमार है। ग्रामीणों ने बताया कि इसका ताला कब खुलता है कब बंद होता है हमको नही मालूम है। गांव के ही सूरज मिश्रा ने बताया कि इस शौचालय की चाभी प्रधान जी ने मुझे दी है इसके खोलने बंद करने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई है लेकिन यहां पर कोई केयरटेकर नही है।हमारे संवाददाता ने जब इस सम्बंध में विकासखण्ड रामनगर के एडीओ पंचयात राम आसरे से दूरभाष के जरिये बात किया तो उन्होंने कहा कि यह बात अभी तक मेरे संज्ञान में नही थी अगर यह बात सच है तो हम खुद इसकी जांच करके कार्रवाई करेंगे।अब देखना यह है कि इस खबर को संज्ञान में लेते हुए संबंधित अधिकारी कोई कार्यवाही करते है या फिर सिर्फ कागजों पर ही इसकी खानापूर्ति कर दी जाती है। यह बात आने वाले समय के गर्भ में छुपी है।

न बारात घर न शमशान स्थल

गांव की सर्व सम्मानित जनता का कहना है कि तहसील क्षेत्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत कही जाने वाली अमोली कलां में न तो बारात घर है और न ही शमशान घाट स्थल है जबकि ग्राम समाज की 400 बीघे जमीन बंजर पड़ी है। इस गांव में लगभग 10 हज़ार से ज्यादा लोग रहते है जिसमे में 30 प्रतिशत लोगों के पास जमीन नही है। जब इन घरों में किसी की मृत्यु जाती है तो घाघरा घाट या अयोध्याधाम या फिर कही दूसरे शमशान घाट ले जाने पर बिवश है। बरसात के समय अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो बरसात के निकलजाने का इंतज़ार किया जाता है। इस दशा में ग्रामीणों को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। गांव में बारात घर न होने से अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से बारात घर व शमशान घाट स्थल बनाये जाने की मांग की है।