मैनपुरी:
मैनपुरी लोकसभा सीट पर सोमवार सुबह 7 बजे से मतदान शुरु हो गया. दिवंगत मुलायम सिंह यादव का गढ़ रहे इस सीट पर एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के लिए जहां भाजपा एक बड़ी चुनौती हैं वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के लिए यह एक मौका होगा. भाजपा के लिए यह अवसर ही एक चुनौती है जहां उसके पास साल 1996 से ही सुदृढ़ होता सपा का अभेद्य किला धवस्त करने का मौका भी है.
मैनपुरी में फिलहाल सियासी और सामाजिक समीकरण समाजवादी पार्टी के पक्ष में नजर आते हैं. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा के लिए लोगों में सहानुभूति की भावना स्पष्ट नजर आती है. वहीं अगर इस लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरणों की बात करें तो ये सीट अनुसूचित जाति बाहुल्य सीट है. यहां अनुसूचित जाति की जनसंख्या लगभग 20 प्रतिशत के आस-पास है.
वहीं मुस्लिम आबादी 5 प्रतिशत के आस-पास है. सपा के तरफ से उम्मीदवार डिंपल यादव हैं जो यूपी की कन्नौज लोकसभा सीट से पूर्व सांसद रह चुकी हैं. वहीं भाजपा ने पूर्व सपाई रघुराज सिंह शाक्य पर दांव खेला है. समाजवादी पार्टी के लिए यह सीट जीतना नाक का सवाल है. मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव के परिणाम सपा के अस्तित्व की लड़ाई है.
शायद यही वजह है कि भाजपा ने भी उपचुनाव में पूरा दमखम झोंका हैं. उपचुनाव में प्रचार की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाली. उन्होंने इस लोकसभा सीट में धुंआधार चुनाव प्रचार किये और अपने फायरब्रांड अंदाज में सपा पर चुन-चुनकर हमला बोला था. उन्होंने प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव पर भी जमकर निशाना साधा.
उनकी तुलना पेंडुलम से करते हुए और फूटबाल वाले बयान पर अखिलेश ने भी अपने अंदाज में सीएम योगी को घेरा. अखिलेश ने तब कहा था कि ”चाचा ऐसा झूला झुलाएंगे कि मुख्यमंत्री को पता नहीं चलेगा कि कहां चले गए.’ बहरहाल, अब देखना यह है कि इस उपचुनाव में भाजपा कितना कमाल दिखाती है. क्या लोग एक बार फिर भाजपा पर भरोसा जताते हैं या मैनपुरी में फिलहाल बदलाव संभव नहीं हैं. हालांकि अभी तो मैनपुरी में सपा की स्थिति मजबूत नजर आती है.