भारतीय सेना ने इन पुरानी परंपराओं को किया खत्म, पीएम मोदी ने दिया था आदेश

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भारतीय सेना ने अपनी कई पुरानी परंपराओं को खत्म करने का फैसला लिया है। इसमें कई ऐसी प्रथा हैं, जो अंग्रेजों के जमाने चलती आ रहीं हैं। मसलन सेना के सार्वजनिक कार्यक्रमों में घोड़े से चलने वाली बग्घियों का इस्तेमाल करना, सेना के अफसर के सेवानिवृत्ति पर पुलिंग आउट सेरेमनी और डिनर के दौरान पाइप बैंड का उपयोग। अब ये सब खत्म कर दिया गया है। इस संबंध में भारतीय सेना ने अपनी यूनिट्स को आदेश जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया कि औपचारिक कार्यों के लिए यूनिट्स या संरचनाओं में बग्घियों का उपयोग बंद कर दिया जाएगा और इन कार्यों के लिए जिन घोड़ों का इस्तेमाल होता है, उन्हें अब ट्रेनिंग के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा पुलिंग आउट समारोह में कमांडिंग ऑफिसर या एक वरिष्ठ अधिकारी के वाहन को यूनिट में अफसर और सैनिक उनकी पोस्टिंग या सेवानिवृत्ति पर खींचते हैं। इसे भी खत्म कर दिया गया है।

सेना के एक अधिकारी ने कहा कि यह प्रथा बहुत व्यापक रूप से नहीं देखी गई क्योंकि जब अधिकारी सेवानिवृत्त होते हैं या दिल्ली से बाहर तैनात होते हैं, तो उनके वाहनों को नहीं खींचा जाता है। अधिकारियों ने कहा कि पाइप बैंड भी केवल कुछ पैदल सेना इकाइयों में शामिल हैं और डिनर के दौरान उनका उपयोग बहुत सीमित है क्योंकि बहुत ज्यादा यूनिट्स के पास पाइप बैंड नहीं हैं।

कई और परंपराओं, नाम को बदलने की तैयारी
सेना कई और तरह की पुरानी परंपराओं और नामों को बदलने पर विचार कर रही है। सरकार के निर्देशों के अनुसार भारतीय सेना औपनिवेशिक और पूर्व-औपनिवेशिक युग से चली आ रही रीति-रिवाजों और परंपराओं, वर्दी और सामान, विनियमों, कानूनों, नियमों, नीतियों, इकाई स्थापना, औपनिवेशिक अतीत के संस्थानों की विरासत प्रथाओं की भी समीक्षा कर रही है। कुछ यूनिट्स के अंग्रेजी नामों, भवनों, प्रतिष्ठानों, सड़कों, पार्कों, औचिनलेक या किचनर हाउस जैसी संस्थाओं के नाम बदलने की भी समीक्षा की जा रही है।
लालकिले से गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का किया था एलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों से ‘पंच प्रण’ लिए थे। इनमें से एक ‘गुलामी की हर सोच से मुक्ति’ का भी संकल्प था। पीएम ने ‘विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और नागरिकों की तरफ से अपने कर्तव्यों के पालन’ के पंच प्रण का ऐलान किया था। इसके बाद  से लगातार बदलाव देखने को मिल रहे हैं। राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्यपथ कर दिया गया।
आठ सालों में मोदी सरकार गुलामी की कई निशानियों को मिटा चुकी

इंडियन नेवी का नया ध्वज
पिछले साल दो सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियन नेवी के ध्वज से गुलामी के प्रतीक को हटाया। नेवी के ध्वज में औपनिवेशिक अतीत की छाप दिखती थी। नए ध्वज में लाल रंग के सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया गया। उसकी जगह पर छत्रपति शिवाजी महाराज की शाही मुहर से प्रेरित चिह्न लगाया गया है। ऊपर बाईं ओर तिरंगा बना है। दाहिनी ओर नीले रंग की पृष्ठभूमि वाले एक अष्टकोण में सुनहरे रंग का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न बना है। सबसे नीचे संस्कृत में ‘शं नो वरुण:’ लिखा है जिसका अर्थ है ‘जल के देवता वरुण हमारे लिए शुभ हों।’

रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग करना
मोदी सरकार ने 2016 में ही रेस कोर्स रोड का नाम लोक कल्याण मार्ग कर दिया था। इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास का पता 7, रेस कोर्स मार्ग से बदलकर 7, लोक कल्याण मार्ग हो गया। रेस कोर्स नाम अंग्रेजों का दिया था।
बीटिंग रीट्रीट सेरिमनी से ‘अबाइड विद मी’ की छुट्टी
गणतंत्र दिवस समारोह के बाद होने वाले बीटिंद द रीट्रीट सेरिमनी से चर्चित क्रिश्चियन प्रेयर गीत ‘अबाइड विद मी’ को हटा दिया गया। उसकी जगह पर कवि प्रदीप के मशहूर गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को शामिल किया गया। 2015 में भी बीटिंग रीट्रीट समारोह में कुछ बड़े बदलाव किए गए थे। भारतीय वाद्ययंत्रों सितार, संतूर और तबला को पहली बार इसमें शामिल किया गया।
औपनिवेशिक काल के पुराने कानूनों से मुक्ति
2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार 1500 से भी ज्यादा पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है। अंग्रेजों के जमाने के ये कानून अप्रासंगिक हो चुके थे लेकिन उन्हें ढोया जा रहा था। इनमें से कई कानून तो ब्रिटिश राज में भारतीयों के शोषण के औजार थे।
बीटिंग रीट्रीट सेरिमनी से ‘अबाइड विद मी’ की छुट्टी
गणतंत्र दिवस समारोह के बाद होने वाले बीटिंद द रीट्रीट सेरिमनी से चर्चित क्रिश्चियन प्रेयर गीत ‘अबाइड विद मी’ को हटा दिया गया। उसकी जगह पर कवि प्रदीप के मशहूर गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को शामिल किया गया। 2015 में भी बीटिंग रीट्रीट समारोह में कुछ बड़े बदलाव किए गए थे। भारतीय वाद्ययंत्रों सितार, संतूर और तबला को पहली बार इसमें शामिल किया गया।
औपनिवेशिक काल के पुराने कानूनों से मुक्ति
2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार 1500 से भी ज्यादा पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है। अंग्रेजों के जमाने के ये कानून अप्रासंगिक हो चुके थे लेकिन उन्हें ढोया जा रहा था। इनमें से कई कानून तो ब्रिटिश राज में भारतीयों के शोषण के औजार थे।
अमर जवान ज्योति का नैशनल वॉर मेमोरियल में विलय
पिछले साल जनवरी में अमर जवान ज्योति की लौ का नैशनल वॉर मेमोरियल में विलय कर दिया गया।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के द्वीपों का नाम बदला
दिसंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की भावनाओं के अनुरूप अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के तीन द्वीपों के नाम बदल दिए। नेताजी ने तो 1943 में पूरे अंडमान और निकोबार द्वीप का नाम बदलकर शहीद और स्वराज द्वीप करने का सुझाव दिया था। मोदी सरकार ने रॉस आइलैंड का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वीप कर दिया। नील आइलैंड को शहीद द्वीप और हैवलॉक आइलैंड को स्वराज द्वीप का नाम मिला।
आम बजट में रेलवे बजट का विलय
2017 में सरकार ने 92 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए रेल बजट का आम बजट में विलय कर दिया। इसके अलावा बजट पेश करने की तारीख में भी बदलाव किया गया। औपनिवेशिक काल से ही बजट फरवरी महीने के आखिरी दिन पेश किया जाता था। अब पहली फरवरी को पेश किया जाता है। ये बदलाव छोटे जरूर दिख सकते हैं लेकिन हैं अहम। गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति का बदलाव प्रतीकात्मक ही सही लेकिन बहुत महत्वपूर्ण हैं।
विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बिप्लोबी भारत गैलरी का उद्घाटन
पिछले साल 23 मार्च को भगत सिंह के बलिदान दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बिप्लोबी भारत गैलरी का उद्घाटन किया। गैलरी में भारत के महान क्रांतिकारियों के योगदान को दिखाया गया है।