लखनऊ : 7 शहरों में स्मार्ट सिटी के काम 30 जून तक नहीं हुए, तो केन्द्र ले सकता है पैसा वापस

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लखनऊ: सात शहरों में स्मार्ट सिटी का काम अगर 30 जून तक पूरा नहीं हुआ तो इन कामों का बचा हुआ पैसा केन्द्र सरकार वापस भी ले सकती है। इसीलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सात शहरों में स्मार्ट सिटी के काम की धीमी गति से काफी नाराज हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर शासन सातों शहरों के नगर आयुक्तों को नोटिस देने के बाद सरकार अब स्मार्ट सिटी के निदेशक पद पर बैठे मंडलायुक्तों की जवाबदेही तय करने जा रहा है।

इन सात शहरों में से तीन शहरों को तो फिसड्डी करार देकर वहां के नगर आयुक्तों और मण्डलायुक्तों पर केवल नोटिस ही नहीं, बल्कि निलम्बन जैसी सख्त कार्रवाई करने की भी तैयारी की जा रही है। केन्द्र सरकार के शहरी नियोजन मंत्रालय ने स्मार्ट सिटी के लिए 10 शहरों का चयन किया हुआ है। ये शहर लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, आगरा, बरेली, झांसी, सहारनपुर, अलीगढ़ और मुरादाबाद हैं। इन शहरों में स्मार्ट सिटी का काम 30 जून तक पूरा किया जाना है।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने 10 शहरों में स्मार्ट सिटी के काम की प्रगति की समीक्षा की तो पाया कि सात शहरों का काम संतोषजनक नहीं है। मुख्यमंत्री ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। मुख्यमंत्री ने इन सात शहरों के स्मार्ट सिटी प्रशासन से जवाब-तलब करने के निर्देश दिए थे। इन सात शहरों में केन्द्र सरकार ने स्मार्ट सिटी के तहत 456 काम मंजूर किए हैं। इन 456 काम 6,537.07 करोड़ भी मंजूर किए गए हैं। इसके विपरीत अप्रैल महीने तक 456 कामों में से केवल 269 काम ही हो पाए हैं। इसके साथ ही मंजूर रकम 6537.07 करोड़ में से केवल 2936.69 करोड़ ही खर्च हो पाए हैं। जबकि जून तक सभी 456 काम हो जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

तीन शहर तो एक तिहाई ही काम कर पाए

सहारनपुर, अलीगढ़ और मुरादाबाद तो मंजूर काम का एक तिहाई ही कर पाए हैं। ये शहर तो मंजूर रकम का एक तिहाई से भी कम खर्च कर पाए हैं। सहारनपुर के लिए स्मार्ट सिटी के तहत 84 काम मंजूर किए गए। इसके लिए केन्द्र सरकार ने 859.90 करोड़ रुपए मंजूर किया तो केवल 18 काम हो पाए हैं और रकम केवल 139.88 करोड़ खर्च हो पाई है। मुरादाबाद के लिए 37 काम मंजूर थे। इनके लिए 930.04 करोड़ मंजूर किए गए। इसमें केवल 326.34 करोड़ से 22 काम हो पाए हैं। यही हाल अलीगढ़ का भी है। यहां 38 कामों के लिए 957.95 करोड़ रुपए मंजूर किए गए। इनमें से केवल 389.29 करोड़ से 19 ही काम हो पाए हैं।

चार शहरों ने केन्द्र से पैसा लेने में बरती लापरवाही

इसके अलावा लखनऊ, झांसी, बरेली और प्रयागराज शहरों के स्मार्ट सिटी प्रशासन ने तय समय में केन्द्र सरकार से पैसा लेने में लापरवाही बरती। यही नहीं, इन शहरों में जिस रफ्तार से स्मार्टसिटी का काम चल रहा है, उसके निर्धारित तय सीमा 30 जून तक पूरा होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। यही हाल रहा तो 30 जून के बाद केन्द्र सरकार को बिना खर्च हुआ पैसा वापस करने की नौबत भी आ सकती है। इसीलिए नगर विकास के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने इन सात शहरों के स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ( सीईओ ) बने नगर आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा है। साथ ही यह भी कहा है कि क्यों न उनकी चरित्र पंजिका में प्रतिकूल प्रविष्ट दे दी जाए। अब शासन इन सात शहरों के मंडलायुक्तों से जवाब-तलब कर उनकी जवाबदेही तय करने की तैयारी कर रहा है।