गाजीपुर
संवाददाता:md Aquib
हिना राइट्स ने लिखी कविता “एक नन्हा सा बच्चा “
रात की काली चादर में
सहमा सा वो ठिठुर रहा था
कब होंगी एक नई सुबह
माँ से बार बार पूछ रहा था
कोई और नहीं वो नन्हा सा एक बच्चा था!
जो हर घड़ी ज़ालिम ग़रीबी से जूझ रहा था!
एक रोटी के लिए माँ दिनभर
कहाँ कहाँ रहती
बार बार ये सोच रहा था
स्कूल जाते बच्चो को बड़े ध्यान से देखता था!
कब दिलाएगी माँ ऐसा बस्ता बार बार ये सोचता था!
देखर अपनों की हालत माँ ज़ारो ज़ार रोया करती थीं!
क्यु मिली ऐसी गरीबी उपर वाले से शिकायत किया करती थीं
है नहीं कोई मददगार न भ्रष्ट नेता न भ्रष्ट समाज
पैदा ना हो एक और मुजरिम इस बात से डरा करती थीं
कविता लेखनी
hina.writes__(गाज़ीपुरी )