प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना काल के दौरान प्राइवेट स्कूलों द्वारा सत्र 2020-21 में वसूली गई फीस में से 15% अभिभावकों को लौटाने के अपने आदेश पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया है और प्राइवेट स्कूलों की पुनर्विचार अर्जी (रिव्यू एप्लीकेशन) खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि अपने निर्णय में सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही स्कूलों को फीस लौटाने का आदेश दिया गया था। फैसले में ऐसी कोई त्रुटि नहीं दिखाई देती है, जिससे इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता महसूस हो।
कोर्ट ने आगे कहा कि फैसले पर पुनर्विचार करते समय यह अदालत अपीलेट कोर्ट की तरह निर्णय की मेरिट पर विचार नहीं कर सकती है और ना ही मामले की फिर से सुनवाई की इजाजत दी जा सकती है। पूर्वांचल स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन व अन्य की पुनर्विचार अर्जी को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने उक्त आदेश दिया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंडियन स्कूल, जोधपुर तथा गांधी सेवा सदन राजसमंद मामले में दिए गए निर्णय को आधार बनाते हुए प्राइवेट स्कूलों की ओर से तर्क दिया गया था कि इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों को कोरोना काल में फीस लेने की अनुमति दी थी, लेकिन कोर्ट ने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि मामले में ऐसा कोई नया तथ्य सामने नहीं लाया गया, जिसके आधार पर इस संदर्भ में पुनर्विचार किया जा सके।
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गौरतलब है कि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जो छात्र विद्यालय में पढ़ रहे हैं, उनकी फीस अगले सत्र की फीस में समायोजित की जाए और जो छात्र स्कूल छोड़ चुके हैं, उनसे ली गई फीस में से 15 प्रतिशत फीस वापस कर दी जाए। गौरतलब है कि कोरोना काल में स्कूलों द्वारा वसूली जा रही फीस माफ किए जाने को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं और जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थी। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए हाईकोर्ट ने सभी स्कूलों को 2 महीने का समय दिया था।