क्षेत्र में किसानों का हो रहा है जबरदस्त शोषण मानक से अधिक मूल्य की मिल रही है खाद बीज किसान परेशान।

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क्षेत्र में किसानों का हो रहा है जबरदस्त शोषण मानक से अधिक मूल्य की मिल रही है खाद बीज किसान परेशान।

रिपोर्ट उमाकांत विश्वकर्मा

बलिया: सरकार किसानों के आय को दोगुना करने की बात करती है पर बलिया में किसानों का जबरदस्त शोषण हो रहा है। खाद बीज की दुकानों पर किसानों को डीएपी यूरिया मूल्य से अधिक दर पर दिए जा रहे हैं बुवाई के समय किसान मजबूर होकर मूल्य से अधिक देकर खरीद रहे हैं। जब किसान दुकानदारों से पूछता है की मूल्य से अधिक दर पर क्यों दे रहे हो तो दुकानदार बताते हैं मूल्य से अधिक दर में हम दुकानदारों को मिलता ही है तो हम मूल्य पर कैसे दें इन सब क्रियाकलाप में कृषि अधिकारियों की मिली भगत है। उक्त विषय अंतर्गत भ्रष्ट कृषि अधिकारी पर जांच के लिए भाजपा के जिला सहसंयोजक पार्टी पत्रिकाएं तथा प्रकाशन विभाग बलिया के सुरेश पाण्डेय निवासी खिरौली मुडे़रा रसड़ा ने अपने सहयोगियो के साथ पिछले कुछ दिनों पहले जिलाधिकारी को पत्रक देकर जांच कर उचित कार्रवाई करने की मांग की थी ताकि किसानों का शोषण बंद हो। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार
रसड़ा तहसील में जिला कृषि अधिकारी एवं थोक उर्वरक विक्रेताओं की मिली भगत से जबरिया जिंक बेचने का गोरखधंधा चलाया जा रहा है। जो थमने का नाम नहीं ले रहा है जिससे छोटे व्यापारियों को जमकर उत्पीड़न और शोषण हो रहा है। कृषि विभाग का यह खेल पिछले डेढ़ वर्षो से बदस्तूर जारी है। इससे जिला कृषि अधिकारी और थोक विक्रेताओं के कथित समन्वय से जमकर धनउगाही का खेल चल रहा है।
बताया जाता है कि जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार प्रजापति अपने किसी उच्च अधिकारी के साथ सांठ गांठ से जबरिया जिंक की बिक्री का जबरदस्त गोरख धंधा चल रहा हैं । जिसमें किसी टूटपूंजिया कंपनी द्वारा निर्मित जिंक जो 33% की मानक क्षमता के दावे किए गए हैं। उसकी बाजारु कीमत 20 से 30 रुपए होगी, परंतु उसे जिला कृषि अधिकारी द्वारा थोक विक्रेताओं के माध्यम से छोटे व्यापारियों को ₹80 प्रति किलोग्राम की दर से बिकवाया जा रहा है। प्रत्येक दुकानदार को 5 से 10 क्विंटल जबरदस्ती जिंक ₹80 किलोग्राम की दर से उनकी दुकान पर भेजा जा रहा है, और उसकी कीमत तत्काल वसूल ली जा रही है। कृषि विभाग के इस तानाशाही रवैया और गोरखधंधे से जहां विभाग की छवि धूमिल हो रही है, वहीं दूसरी तरफ छोटे विक्रेता जिला कृषि अधिकारी के तथा कथित दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य है। जिससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ यूरिया और डीएपी की ओवर रेटिंग के चलते निर्धारित दर पर रासायनिक उर्वरकों की बिक्री कर कर पाना छोटे विक्रेताओं के बूते की बात नहीं रह गई है। उन्हें निर्धारित दर से अधिक दर पर उर्वरक उपलब्ध कराई जा रही है। अगर इस दौरान ओवर रेटिंग में कोई छोटा दुकानदार कृषि विभाग की चपेट में आता है तो आर्थिक शोषण के लपेटे में आ जा रहा है। जानकारी मिली है कि जिला कृषि अधिकारी द्वारा हरित उत्तम गोल्ड नामक जिंक छोटे व्यापारियों की दुकानों पर थोपा जा रहा है ।जबकि वह सैंपल में गुणवत्ता युक्त नहीं है। जबरदस्ती जिंक बेचकर के किसानों का भी शोषण किया जा रहा है। इस संदर्भ में जिला कृषि अधिकारी से जब वार्तालाप की गई तो उन्होंने कहा कि विभाग के तरफ से जिंक बेचवाए जाने की कोई बात नहीं है। अगर किसी व्यापारी को कोई समस्या हो तो वह उनसे वार्तालाप कर सकता है।
अब जिला कृषि अधिकारी को यह कैसे समझाया जाए कि छोटे व्यापारी उनके विरुद्ध मुंह खोल करके आ बैल मुझे मार की कहावत चरितार्थ नहीं करना चाहते। यह भी जानकारी मिली है कि जिला कृषि अधिकारी द्वारा पूरे जनपद के व्यापारियों से जिंक बेचने का जबरदस्त गोरखधंधा चला रहे है। जिससे उन्हें आम के आम और गुठलियों के दाम भी मिल रहे हैं। यह पूरे जनपद में चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि कुछ समय पहले समाचार चलने के बाद अधिकारियों ने औपचारिकता के लिए कुछ जगहों पर कार्रवाई भी की लेकिन अभी भी किसानों का शोषण थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसानों का कहना है कि सरकारी खाद गोदाम पर भी खाद मूल्य से ₹20 अधिक में दिया जा रहा है जबकि वहीं सरकारी खाद प्राइवेट दुकानों पर मूल्य से 250 से ₹300 अधिक में हम लोगों को ब्लैक में खरीदना पड़ रहा है।अब देखना यह बाकी है कि किसान अपनी खेती कैसे करते हैं। और अपनी आय को दुगना कैसे करते हैं।