श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन हुआ ध्रुव व सती चरित्र का वर्णन

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संतोष जायसवाल
शिवगढ़ रायबरेली
क्षेत्र की ग्राम पंचायत ढेकवा में चल रही संगीतमय सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन राजापुर से पधारे व्यास गद्दी पर आसीन अनूप तिवारी महाराज ने ध्रुव व सती चरित्र का वर्णन किया।कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है।शंकर जी के लाख समझाने के बाद भी श्री राम जी की परीक्षा लेने मां पार्वती सीता का रूप धारण कर लेती हैं।शंकर जी जब ध्यान पूर्वक सती के इस चरित्र को देखते हैं तो वह उन्हें अपने से उत्तम स्थान देने का कार्य करते हैं।जिसको अंतर्मन में सती समझ जाती हैं और राजा दक्ष के यज्ञ कुंड में अपनी आहुति देकर उस का प्रायश्चित करती हैं।

कथा में तिवारी जी महाराज ने ध्रुव और सती दोनों में एक बात समझाने का प्रयास किया कि कभी भी किसी कार्य में बहुत जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।धैर्य पूर्वक किया गया कार्य सदैव सफलता देता है और जल्दबाजी में किया गया कार्य सदैव प्रायश्चित कराता है।इस अवसर पर मुख्य यजमान संतोष शुक्ला के द्वारा पूरे मंत्रोच्चारण के साथ व्यास गद्दी पीठ का पूजन किया गया इस अवसर पर आयोजक धीरज मिश्रा मान तिवारी राकेश शुक्ला भजन सिंह राजेश मिश्र संजय त्रिवेदी संजय तिवारी प्रेम तिवारी आदि उपस्थित रहे।