अतरारी बना इलाज का केंद्र, RAF हॉस्पिटल के मेगा कैम्प में उमड़ा जनसैलाब, महिलाओं के लिए राहत बनीं डॉ. नलिनी सिंह

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संवादाता वसीम खान मुहम्मदाबाद गोहना। मंगलवार को अतरारी गांव में RAF मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल द्वारा लगाए गए चिकित्सा शिविर ने गांव के हर कोने को इलाज से जोड़ दिया। सुबह से ही मरीजों की भीड़ लगनी शुरू हो गई और शाम तक कुल 165 मरीजों की जांच और उपचार किया गया।

शिविर में सबसे अहम भूमिका निभाई डॉ. नलिनी सिंह ने, जिनके पास बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी परेशानियां लेकर पहुंचीं। डॉ. नलिनी सिंह MBBS, MS हैं और स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने महिलाओं को खुलकर बात करने का मौका दिया और गंभीर मामलों को न केवल सुना, बल्कि मौके पर इलाज भी किया। संक्रमण, यूरीन इंफेक्शन, इनफर्टिलिटी, कमजोरी और टाइफॉइड जैसी बीमारियों को लेकर आई महिलाओं ने राहत की सांस ली। गांव की कई महिलाएं पहली बार किसी महिला डॉक्टर से सलाह ले पा रही थीं।

शिविर के आयोजन में सबसे बड़ी भूमिका रही हॉस्पिटल के संचालक डॉ. पंकज सिंह की, जिनकी सोच और पहल ने इस मेडिकल कैम्प को जमीन पर उतारा। डॉ. पंकज सिंह ने बताया कि यह शिविर केवल शुरुआत है। हर सप्ताह एक नया गांव, एक नया कैम्प और एक नई उम्मीद लेकर टीम पहुंचेगी। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अगला शिविर खैराबाद में आयोजित किया जाएगा।

डॉ. पंकज सिंह ने कहा कि मेडिकल सेवा को गांव तक पहुंचाना उनका मकसद है, और जब तक अंतिम व्यक्ति को इलाज नहीं मिलेगा, यह अभियान जारी रहेगा। उन्होंने टीम के हर सदस्य को धन्यवाद देते हुए कहा कि सेवा ही उनका असली उद्देश्य है, न कि लाभ।

शिविर में मौजूद रहे लखनऊ सहारा हॉस्पिटल में कार्यरत रह चुके डॉ. वीरू शुक्ला, जिनके पास न्यूरो, किडनी और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं वाले मरीज पहुंचे। डॉ. अभिनंदन पाल सिंह और डॉ. शगुफा ने भी शिविर में अपनी सेवाएं दीं।

शिविर की व्यवस्थाएं हॉस्पिटल मैनेजर उत्कर्ष जायसवाल ने संभालीं। उन्होंने कहा कि मरीजों की सेवा करना ही हमारी प्राथमिकता है, और इसी सोच को लेकर हम गांवों में शिविर लगा रहे हैं। एडवोकेट नीरज सिंह, जो डॉ. पंकज सिंह के भाई हैं, भी पूरे समय मौजूद रहे और शिविर की गतिविधियों को करीब से देखा।

शिविर में समीर सिंह, शिवम सिंह, मनदीप सिंह, सोनाली राय, कविता शर्मा और सना परवीन ने दवाओं के वितरण से लेकर मरीजों की लाइन तक की पूरी व्यवस्था संभाली। गांव के कई बुजुर्गों और महिलाओं ने हॉस्पिटल टीम का आभार जताया और कहा कि इस तरह के शिविरों से उन्हें पहली बार शहर जैसे इलाज की अनुभूति हुई।