जब देश और प्रदेश के दिग्गज नेता झारखंड में हो रहे बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ और इस्लामिक जिहाद को लेकर इस तरह की चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं, तो यह देखना आवश्यक होता है कि झारखंड में इन दावों और चिंताओं को लेकर जमीन की वास्तविक स्थिति क्या है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार 3 नवंबर को झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम सिंहभूम में हुई चुनावी सभा में कहा कि ‘हम जनजातियों की जमीन पर घुसपैठियों द्वारा उस पर कब्जा होने से रोकने के लिए सख्त कानून लेकर आएंगे।’ यहां अमित शाह का इशारा झारखंड में हो रहे बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ से था, जो स्थानीय जनजातियों की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। इसी मामले को लेकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन का कहना है कि झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ तेजी से हो रही है। उनका कहना है कि कई गांव ऐसे हैं जहां पूरे गांव के गांव को इस्लामिक जिहाद और कन्वर्जन का शिकार बना दिया गया है। इसी बयान का समर्थन करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि झारखंड की जनजातीय बहनों के साथ बांग्लादेशी घुसपैठिए लव जिहाद कर रहे हैं। वहीं इसी विषय पर झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन का कहना है कि झारखंड में लव जिहाद और लैंड जिहाद खुलेआम हो रहा है, लेकिन प्रदेश की सोरेन-कांग्रेस सरकार इसपर चुप्पी साधे हुए है। जब देश और प्रदेश के दिग्गज नेता झारखंड में हो रहे बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ और इस्लामिक जिहाद को लेकर इस तरह की चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं, तो यह देखना आवश्यक होता है कि झारखंड में इन दावों और चिंताओं को लेकर जमीन की वास्तविक स्थिति क्या है।
“इसका ताजा उदाहरण देखने की कोशिश करें तो हमें झारखंड से ही लोकसभा के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा 25 जुलाई 2024 को उठाया गया मुद्दा देखना भी जरूरी है। निशिकांत दुबे ने झारखंड के कई क्षेत्रों में घटती हिन्दू आबादी का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि यहां बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुस्लिमों द्वारा घुसपैठ की जा रही है, तथा ये लोग स्थानीय जनजातीय युवतियों को लव जिहाद में फंसाकर उनसे शादी कर रहे हैं, इसके चलते क्षेत्र की जनजाति भूमि पर खतरा मंडरा रहा है। निशिकांत दुबे ने इस चिंता को जाहिर करते हुए झारखंड में एनआरसी लागू करने की मांग की थी।”
इस मांग के बाद दो माह के भीतर ही झारखंड से एक ऐसा मामला सामने आया था, जिसने निशिकांत दुबे की बातों को सही ठहराया था। दरअसल झारखंड की ही एक जनजाति महिला शिवानी मरांडी को नसीम अंसारी नामक इस्लामिक जिहादी ने पहले लव जिहाद के जाल में फंसाया और फिर उसका कन्वर्जन कराकर उससे शादी भी कर ली। निकाह के बाद दोनों के चार बच्चे हुए, जिसमें से दो की मौत हो गई। लेकिन इन सब के बाद भी नसीम ने अन्य महिलाओं से संबंध बनाए और मना करने पर शिवानी के साथ मारपीट करने लगा। सिर्फ इतना ही नहीं शिवानी मरांडी द्वारा खरीदी गई जमीन को भी नसीम ने अपने नाम करवा कर अब शिवानी और उसके बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया है। यह एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे इस्लामिक जिहादी झारखंड की जनजातीय युवतियों और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं। दरअसल यह पहला मामला नहीं है जब इस्लामिक जिहादियों द्वारा जनजाति बेटियों को निशाना बनाया जा रहा हो, इससे पूर्व में भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। विशेषकर झारखंड जैसे जनजाति बाहुल्य राज्य में मुस्लिमों के द्वारा लव जिहाद के माध्यम से भोली-भाली जनजाति युवतियों को लक्षित कर शिकार बनाया जा रहा है। बीते वर्ष झारखंड के साहिबगंज से रुबिका पहाड़िन नामक जनजाति युवती की हत्या ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। साहिबगंज जिले में इस्लामिक जिहादी दिलदार अंसारी ने जनजाति युवती रुबिका पहाड़िन की हत्या करने के बाद उसके शव के 50 से अधिक टुकड़े कर उसे फेंक दिया था। इस्लामिक जिहादी अंसारी पहले से विवाहित था, बावजूद इसके अंसारी ने रुबिका को ‘लव जिहाद’ के जाल में फंसाया और हत्या के डेढ़ माह पहले ही दोनों ने निकाह किया था।
बीते पाँच वर्षों में झारखंड में जिहादी तत्वों की गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में मुस्लिम युवाओं के द्वारा जनजाति युवतियों को प्रेम जाल में फंसाने से लेकर, दुष्कर्म, लव जिहाद और भूमि जिहाद के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। जिस साहिबगंज के बोरियो क्षेत्र में रुबिका पहाड़िन की निर्मम हत्या की घटना हुई थी, उसी क्षेत्र में एक वर्ष के भीतर तकरीबन 100 मुस्लिम युवकों ने स्थानीय जनजाति युवतियों से निकाह किया था, जो क्षेत्र में बढ़ती लव जिहाद की घटना को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है। जिस पहाड़िया जनजाति समाज की युवती लव जिहाद का शिकार हुई थी और इस्लामिक जिहादी के हाथों मारी गई, उस जनजाति की स्थिति और भी बुरी हो चुकी है। एक रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्र के 80 प्रतिशत से अधिक पहाड़िया अपना मत परिवर्तन चुके हैं। मुस्लिम युवकों के द्वारा पहाड़िया जनजाति की किशोरियों एवं युवतियों को खासतौर पर निशाना बनाकर उन्हें लव जिहाद का शिकार बनाया जा रहा है, जिसके लिए इन जिहादियों को इस्लामिक समूह से सहायता भी प्राप्त कराई जा रही है। लव जिहाद और लैंड जिहाद के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में भी इस्लामिक जिहादी इन जनजाति युवतियों का फायदा उठा रहे हैं। सांसद निशिकांत दुबे का कहना है कि झारखंड में कई ऐसी महिलाएं हैं जो अनुसूचित जनजाति के आरक्षित सीट से पंचायत का चुनाव लड़ती हैं, लेकिन उनके पति मुसलमान हैं। उन्होंने कहा कि 100 से अधिक ऐसे पंचायत मुखिया हैं, जिनके पति मुस्लिम हैं। मुस्लिम युवक जनजाति किशोरियों एवं युवतियों को प्रेम जाल में फंसाकर उनसे निकाह करते हैं, और कई बार यह निकाह केवल दिखावटी होता है। इसके बाद क्षेत्र में पंचायत चुनाव में आरक्षित सीटों पर (मुख्यतः जनजाति महिला आरक्षित सीट) उनकी पात्रता का फायदा उठाकर उन्हें चुनाव लड़वाया जाता है, और उनकी राजनीतिक शक्तियों का इस्तेमाल इस्लामिक जिहादी तत्व करते हैं।