नीरज शुक्ला/ रामनगर बाराबंकी: एक तरफ प्रदेश के मुखिया आदित्यनाथ योगी कड़े निर्देश दे रखे है कि किसी भी सरकारी कार्यालय में प्राइवेट कर्मचारी काम नही करेगा। अधिकारी अपना काम स्वंय करेंगे। दूसरी तरफ विकासखंड कार्यालय रामनगर उन आदेशों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नही छोड़ रहा है। इस ब्लॉक में कोई भी ऐसा सचिव नही है जिसके पास अपना एक प्राइवेट कर्मचारी न हो।
जबकि सूत्र बताते है कि यह विकासखंड खाऊ कमाऊ नीति का जरिया बनती चली जा रही है। धीरे-धीरे ब्लॉक भ्रष्टाचार की लय पकड़ रहा है। निजी कर्मचारियों को रख उनको धनउगाही का जरिया बनाया जा रहा है। ये कर्मचारी आये हुए फरियादियों से काम के बदले दाम लेने का काम करते है। इस तरह से अपनी व अपने मालिक की खूब जेबें भर रहे है। इस ब्लॉक के ज्यादातर प्रधानगण ग्राम विकास अधिकारियों से पीड़ित दिखाई दे रहे है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ ग्राम प्रधानों ने बताया कि हम जो भी गांव में निर्माण कार्य करवाते है, उसके बाद आईडी जनरेट करने के लिए यहां के अधिकारियों के द्वारा नगद पैसा मांगा जा रहा है। पहले से ही हम ग्राम प्रधानों का करोड़ो में भुगतान बाकी है। उस पर कोई ध्यान नही दे रहा है।बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद भी अधिकारी समस्या का निस्तारण करने में अस्मर्थ है।
बीते दिनों में एक वीडियो शोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी जिसमे दर्शाया गया कि यहां मौजूद रहे सचिव अखिलेश दुबे के निजी कर्मचारी द्वारा ग्राम पंचायत गर्री के फरियादी से परिवार रजिस्टर नकल बनवाने के नाम पर पैसे लिए गए है। तब से लेकर आज तक न खंड विकास अधिकारी ने संज्ञान लिया और न ही विभाग हरकत में आया। ब्लॉक के अधिकारियों की कार्यशैली को देख सुन क्षेत्र की जनता में चर्चाओं का बाजार गर्म दिखाई दे रहा है। अगर इसी तरह का मंज़र रहा तो आज भ्रष्टाचार पनप रहा है, कल इसकी जड़ें मजबूत हो सकती है।
क्या कहा मुख्य विकास अधिकारी ने
इस विषय को जब बाराबंकी के मुख्य विकास अधिकारी अ. सूदन को अवगत कराया गया तो बिना जवाब दिए उन्होंने फोन काट दिया।