- संवाददाता,रामआशीष सिंह आजमगढ़आधुनिकता की मार से किसानों के घर विलुप्त हो गयी
बैलों की जोड़ी
आजमगढ़ आधुनिकता की मार ने हर जगह अपना नया रूप धारण कर लिया है। जिससे पुरानी हर चीजें विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। इसी कड़ी में आधुनिकता की मार से अब खेतों में बैलों की जोड़ी विलुप्त हो गई है। उसके स्थान पर ट्रैक्टर ने अपना जाल बिछा दिया है। आपको बताते चलें कि तीन दशक पहले गांवों में हर किसान के घर बैलों की जोड़ी उनकी शोभा हुआ करती थी। बैलों की जोड़ी को किसान अपनी शान समझते थे। कुछ बड़े कास्तकार दो-दो बैलों की जोड़ी रखते थे। इन बैलों की जोड़ी जिस खेत में चलते थे उनके गले में घुंघरू की मधुर आवाज सुनाई देता था। इसी बैलों की जोड़ी पर फिल्मों के गाने भी खूब सुपरहिट रहे। फिल्म के गीत मेरे देश की धरती में जब बैलों के गले में घुघुरु जीवन की राग सुनाते हैं सुपरहिट गाना आज भी सदाबहार है। लेकिन आज आधुनिकता की मार इस कदर हो गई है कि किसी भी किसान के घर बैलों की जोड़ी दिखाई नहीं देती। बैलों की जोड़ी के स्थान पर किसानों के घर ट्रैक्टर ने अपना स्थान काबिज कर लिया है। मिट्टी पलट हल, देशी हल , जुआ हर्ष,हरैली आदि प्रयोग की वस्तुएं आधुनिक युग में युवाओं के लिए पहेली बन गई है। रिपोर्ट राम आशीष सिंह आजमगढ़